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सुप्रीम कोर्ट ने चिकित्सा अनुसंधान नीति पर दाखिल याचिका खारिज की, कहा- इसमें याचिकाकर्ता का निजी हित

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को देश में चिकित्सा अनुसंधान नीति पर नीति आयोग की सिफारिशों को लागू करने की मांग वाली याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया। शीर्ष अदालत ने कहा कि कोई भी इच्छुक पक्ष इस मामले में जनहित याचिका (पीआईएल) दाखिल नहीं कर सकता है। पीठ ने कहा कि निजी हित रखने वाला व्यक्ति सार्वजनिक हित के लिए भागदौड़ नहीं कर सकता है।

By Jagran News Edited By: Abhinav AtreyUpdated: Thu, 25 Jan 2024 10:06 PM (IST)
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सुप्रीम कोर्ट ने चिकित्सा अनुसंधान नीति पर दाखिल याचिका खारिज की (फाइल फोटो)

पीटीआई, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को देश में चिकित्सा अनुसंधान नीति पर नीति आयोग की सिफारिशों को लागू करने की मांग वाली याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया। शीर्ष अदालत ने कहा कि कोई भी इच्छुक पक्ष इस मामले में जनहित याचिका (पीआईएल) दाखिल नहीं कर सकता है।

चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता केएम चेरियन प्रथम दृष्टया इच्छुक पक्ष हैं। पीठ ने कहा कि चिकित्सा अनुसंधान करने वाली उनकी फर्म दिवालिया प्रक्रिया से गुजर रही है।

ऐसा व्यक्ति सार्वजनिक हित के लिए भागदौड़ नहीं कर सकता

पीठ ने कहा कि यह व्यक्ति स्वयं ही कार्यवाही में फंसा है और निजी हित रखने वाला व्यक्ति सार्वजनिक हित के लिए भागदौड़ नहीं कर सकता है। हम जानते हैं कि आजकल जनहित याचिकाओं के साथ क्या हो रहा है?

कम से कम इस याचिका में हस्तक्षेप नहीं करेंगे- कोर्ट

पीठ ने वकील प्रशांत भूषण द्वारा पीआईएल में उठाए गए अन्य पहलुओं पर गौर करने की दलील को भी खारिज कर दिया। सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा कि हम कम से कम इस याचिका में हस्तक्षेप नहीं करेंगे। पीठ ने कहा कि जनहित याचिका फर्म द्वारा पहले वापस ली गई विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) से संबंधित थी। इसलिए हम इस याचिका पर विचार करने के इच्छुक नहीं हैं।

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