सुप्रीम कोर्ट ने यूपी में डुप्लीकेट मतदाता का मुद्दा उठाने वाली याचिका की खारिज, चुनाव आयोग का जवाब पीठ ने बताया संतोषजनक
सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग के जवाब से संतुष्ट होकर उत्तर प्रदेश में मतदाता सूची में डुप्लीकेट मतदाता प्रविष्टियों से संबंधित जनहित याचिका पर कार्यवाही की और गत पांच फरवरी को शीर्ष अदालत ने जनहित याचिकाकर्ता एनजीओ संविधान बचाओ ट्रस्ट द्वारा उठाए गए दो मुद्दों पर चुनाव आयोग से जवाब मांगा था। इसमें याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया था।
पीटीआई, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को चुनाव आयोग के जवाब से संतुष्ट होकर उत्तर प्रदेश में मतदाता सूची में डुप्लीकेट मतदाता प्रविष्टियों से संबंधित जनहित याचिका पर कार्यवाही बंद कर दी।
गत पांच फरवरी को शीर्ष अदालत ने जनहित याचिकाकर्ता एनजीओ 'संविधान बचाओ ट्रस्ट' द्वारा उठाए गए दो मुद्दों पर चुनाव आयोग से जवाब मांगा था।
याचिकाकर्ता ने लगाया था ये आरोप
इसमें दावा किया गया था मतदाता सूची दोषपूर्ण थी। याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया था कि उत्तर प्रदेश मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने डुप्लीकेट मतदाता प्रविष्टियों के संबंध में जिला निर्वाचन अधिकारियों के साथ विशिष्ट संचार नहीं किया।
आयोग की ओर से पेश अधिवक्ता अमित शर्मा ने कहा कि आयोग ने अपने जवाब में याचिकाकर्ता द्वारा उठाए गए दोनों सवालों का जवाब दिया है और सभी जिला निर्वाचन अधिकारियों को मुख्य निर्वाचन अधिकारी के संचार का हवाला दिया है।
नहीं काटा जा सकता मतदाता का नाम
उन्होंने कहा कि बिना उचित प्रक्रिया के किसी भी मतदाता का नाम नहीं काटा जा सकता है। मामले को बंद करते हुए चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस मनोज मिश्रा और जस्टिस जेबी पार्डीवाला की पीठ ने कहा कि चुनाव आयोग ने स्थानांतरित हुए मतदाताओं का नाम दर्ज करने के चरणों की व्याख्या करते हुए व्यापक हलफनामा दाखिल किया है। ऐसे में हम आयोग के जवाब से संतुष्ट है और तदनुसार याचिका का निपटारा करते हैं।