'वकील बनना है तो पढ़ाई करें...', सुनवाई के दौरान भड़क गए CJI चंद्रचूड़; दे डाली नसीहत
अखिल भारतीय बार परीक्षा (AIBE) के लिए Cut-Off को कम करने वाली याचिका को खारिज करते हुए सीजेआई डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि अगर AIBE के लिए तय कट-ऑफ मार्क्स को कम किया गया तो इससे बार में भर्ती होने वाले वकीलों की गुणवत्ता प्रभावित होगी। वहीं सीजेआई ने याचिकाकर्ताओं को और पढ़ने की बात कही।
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने अखिल भारतीय बार परीक्षा (AIBE) के लिए योग्यता अंक (Cut-Off) को कम करने की मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया।
वकीलों की गुणवत्ता होगी प्रभावितः कोर्ट
इस मामले पर सुनवाई करते हुए भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि अगर AIBE के लिए तय कट-ऑफ मार्क्स को कम किया गया तो इससे बार में भर्ती होने वाले वकीलों की गुणवत्ता प्रभावित होगी। वहीं, सीजेआई ने याचिकाकर्ताओं को और पढ़ने की बात कही।
सीजेआई ने क्या कहा?
मालूम हो कि याचिका में AIBE के लिए तय कट-ऑफ मार्क्स को कम करके सामान्य वर्ग एवं ओबीसी के लिए 40 प्रतिशत और एससी/एसटी उम्मीदवारों के लिए 35 प्रतिशत की मांग की गई थी, जिस पर सीजेआई ने कहा कि सामान्य श्रेणी के लिए 45 और एससी/एसटी के लिए 40 का कट ऑफ रखा गया है। अगर कोई इतना स्कोर नहीं कर सकता तो वह किस तरह का वकील होगा? उन्होंने कहा, 'पढ़ो भाई!'सीमा कर पर सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं को हाईकोर्ट का रुख करने की दी छूट
सुप्रीम कोर्ट ने विभिन्न राज्य सरकारों द्वारा प्राधिकार शुल्क/सीमा कर वसूलने की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं का मंगलवार को निस्तारण कर दिया और याचिकाकर्ताओं को राहत पाने के लिए क्षेत्राधिकार वाले उच्च न्यायालयों का रुख करने की छूट दी।जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की पीठ ने कई ट्रांसपोर्टर और टूर संचालकों की याचिकाओं पर यह फैसला सुनाया। याचिकाकर्ताओं ने कहा था कि अखिल भारतीय पर्यटक वाहन (परमिट) नियम, 2023 का कथित उल्लंघन कर प्राधिकार शुल्क/सीमा कर वसूला जा रहा है।
कुछ याचिकाकर्ताओं ने राज्यों द्वारा पहले ही वसूले जा चुके ऐसे शुल्क को वापस दिलाने का भी अनुरोध किया।पीठ ने कहा कि चूंकि राज्य के अधिनियमों, नियमों और विनियमों को चुनौती नहीं दी गई है, इसलिए यह नहीं कहा जा सकता कि संबंधित राज्य सरकारों द्वारा सीमाओं पर सीमा कर/प्राधिकार शुल्क की मांग करना कानून के तहत गलत है।याचिकाओं को स्वीकार कराने के लिए याचिकाकर्ताओं को अधिनियम में निहित राज्य के प्रविधान को चुनौती देने पर विचार करना होगा।
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