Move to Jagran APP
5/5शेष फ्री लेख

'हमें अपने एजेंडे में न घसीटें', NCPCR को सुप्रीम कोर्ट ने क्यों लगाई फटकार?

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) की याचिका खारिज करते हुए कहा कि हमें अपने एजेंडे में न घसीटें। अदालत की यह टिप्पणी उस याचिका पर आई जिसमें झारखंड में आश्रय गृहों द्वारा कथित तौर पर बेचे गए बच्चों के मामलों की एसआईटी जांच की मांग की गई थी। यह आश्रय गृह मदर टेरेसा द्वारा स्थापित मिशनरीज ऑफ चैरिटी के अंतर्गत चल रहे हैं।

By Agency Edited By: Shubhrangi Goyal Updated: Tue, 24 Sep 2024 09:22 PM (IST)
Hero Image
NCPCR को सुप्रीम कोर्ट ने लगाई फटकार

पीटीआई, नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) की याचिका खारिज करते हुए कहा कि हमें अपने एजेंडे में न घसीटें। अदालत की यह टिप्पणी उस याचिका पर आई, जिसमें झारखंड में आश्रय गृहों द्वारा कथित तौर पर बेचे गए बच्चों के मामलों की एसआईटी जांच की मांग की गई थी। यह आश्रय गृह मदर टेरेसा द्वारा स्थापित मिशनरीज ऑफ चैरिटी के अंतर्गत चल रहे हैं।

एनसीपीसीआर को फटकार लगाते हुए न्यायमूर्ति बीवी नागरत्ना और एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने कहा कि याचिका में मांगी गई राहत अस्पष्ट है और इस पर विचार नहीं किया जा सकता।

'आपकी याचिका में किस तरह की राहत मांगी गई'

पीठ ने एनसीपीसीआर की ओर से पेश वकील से कहा, ''आपकी याचिका में किस तरह की राहत मांगी गई है? हम ऐसे निर्देश कैसे पारित कर सकते हैं? याचिका पूरी तरह से गलत है।'' इससे पहले वकील ने कहा कि याचिका में झारखंड में ऐसे सभी संगठनों की शीर्ष अदालत की निगरानी में समयबद्ध जांच का निर्देश दिया गया है।

अदालत ने कहा कि एनसीपीसीआर को बाल अधिकार संरक्षण आयोग (सीपीसीआर) अधिनियम, 2005 के तहत जांच करने और कानूनी कार्रवाई करने का अधिकार है।

मौलिक अधिकारों को लागू करने की मांग

आयोग ने 2020 में दायर याचिका में संविधान के अनुच्छेद 23 के तहत गारंटीकृत मानव तस्करी पर रोक के मौलिक अधिकारों को लागू करने की मांग की थी। इसमें कहा गया था कि विभिन्न राज्यों में बाल गृहों में कई विसंगतियां पाई गई हैं।