'कानून के तहत लोगों को खंभे से बांधकर पीटने का अधिकार है? जाओ जेल के मजे लो', SC ने गुजरात पुलिसकर्मियों को लगाई फटकार
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को गुजरात के खेड़ा में पांच मुस्लिम समुदाय के लोगों को सरेआम पीटने पर गुजरात पुलिस के अधिकारियों की फटकार लगाई है। शीर्ष कोर्ट ने गुस्से में पुलिस से पूछा कि उन्हें इन लोगों को खंभे से बांधने और पीटने का अधिकार कहां से मिला? इस मामले में गुजरात हाई कोर्ट ने चार पुलिस वालों को पहले ही सजा सुना चुका है।
पीटीआई, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को गुजरात के खेड़ा में पांच मुस्लिम समुदाय के लोगों को सरेआम पीटने पर गुजरात पुलिस के अधिकारियों की फटकार लगाई है। शीर्ष कोर्ट ने गुस्से में पुलिस से पूछा कि उन्हें इन लोगों को खंभे से बांधने और पीटने का अधिकार कहां से मिला?
इस मामले में गुजरात हाई कोर्ट ने चार पुलिस वालों को पहले ही सजा सुना चुका है। हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ आरोपी पुलिसवालों ने सुप्रीम कोर्ट का रुख अख्तियार किया था। मामले को देखते हुए शीर्ष कोर्ट ने पुलिसवालों की अपील स्वीकार कर ली। हाई कोर्ट के फैसले पर फिलहाल रोक लगा दी है।
हाई कोर्ट ने 14 दिन के जेल की सजा सुनाई थी
हाई कोर्ट ने इंस्पेक्टर एवी परमार, एसआई डीबी कुमावत, हेड कांस्टेबल केएल दाभी और कांस्टेबल आरआर दाभी को संदिग्धों को हिरासत में लेने और पूछताछ करने के सुप्रीम कोर्ट के दिशानिर्देशों का उल्लंघन करने के लिए अवमानना का दोषी माना था। इसके लिए कोर्ट ने चारों को 14 दिन के साधारण जेल की सजा सुनाई थी।जाओ और हिरासत का आनंद लो- सुप्रीम कोर्ट
जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस संदीप मेहता की पीठ ने मामले में सुनवाई की। सुनवाई के दौरान नाराज जस्टिस गवई ने कहा, "क्या आपके पास कानून के तहत लोगों को खंभे से बांधने और उन्हें पीटने का अधिकार है? जाओ और हिरासत के मजे लो।"
आप चाहते हैं कि यह अदालत हस्तक्षेप करे? कोर्ट
जस्टिस मेहता ने गुजरात के पुलिस अधिकारियों को कड़ी फटकार लगाते हुए कहा, "ये किस तरह के अत्याचार हैं? लोगों को खंभे से बांधना, सार्वजनिक तौर पर उनकी पिटाई करना और वीडियो बनाना। फिर आप चाहते हैं कि यह अदालत हस्तक्षेप करे।"