SC: लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में आशीष मिश्रा को चेतावनी, सुप्रीम कोर्ट ने कहा माननी होंगी जमानत की शर्तें
लखीमपुर खीरी 2021 हिंसा मामले में हत्या के आरोपित पूर्व केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा के पुत्र आशीष मिश्रा को सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को सख्त हिदायत देते हुए कहा कि वह जमानत की शर्तों का सख्ती से पालन करें। न्यायमूर्ति सूर्यकांत दीपांकर दत्ता और उज्जल भुइयां की पीठ ने पीड़ितों को अवमानना याचिका दायर करने की अनुमति दी। सुप्रीम कोर्ट ने 22 जुलाई को मिश्रा को जमानत दी थी।
पीटीआई, नई दिल्ली। लखीमपुर खीरी 2021 हिंसा मामले में हत्या के आरोपित पूर्व केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा के पुत्र आशीष मिश्रा को सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को सख्त हिदायत देते हुए कहा कि वह जमानत की शर्तों का सख्ती से पालन करें।
न्यायमूर्ति सूर्यकांत, दीपांकर दत्ता और उज्जल भुइयां की पीठ ने पीड़ितों को अवमानना याचिका दायर करने की अनुमति दी। पीठ ने मिश्रा की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता से कहा कि जमानत शर्तों का सख्ती से पालन करना होगा।
वकील प्रशांत भूषण ने कही ये बात
पीड़ितों की ओर से वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने 22 जुलाई को मिश्रा को जमानत दी थी। साथ ही जमानत की शर्तों का पालन करने का निर्देश दिया था और उन्हें तय तारीख से केवल एक दिन पहले अपने मुकदमे के स्थान पर जाने की अनुमति दी थी। लेकिन वह एक अक्टूबर को वहां (लखीमपुर खीरी) ऐसे गए जैसे दो अक्टूबर को राष्ट्रीय अवकाश वाले दिन सुनवाई हो। जबकि अगले दिन अदालत बंद थी और उन्होंने एक अक्टूबर को एक विशाल सार्वजनिक रैली को संबोधित किया।सुप्रीम कोर्ट ने वैवाहिक दुष्कर्म मामले की सुनवाई चार सप्ताह के लिए टाली
चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने वैवाहिक दुष्कर्म मामले की सुनवाई बुधवार को चार सप्ताह के लिए टाल दी है। दोनों पक्षों के वकीलों द्वारा अपनी दलीलें रखने के लिए मांगे गए एक-एक दिन के समय को देखते हुए चीफ जस्टिस को लगा कि मामले की सुनवाई दीपावली की छुट्टियों के पहले पूरी होनी संभव नहीं है, इसलिए सुनवाई चार सप्ताह के लिए टाल दी गई। चार सप्ताह बाद नयी पीठ मामले पर सुनवाई करेगी।
जस्टिस चंद्रचूड़ 10 नवंबर को सेवानिवृत हो रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएं लंबित हैं जिनमें वैवाहिक दुष्कर्म को अपराध घोषित करने की मांग की गई है। याचिकाओं में आइपीसी की धारा 375 के अपवाद दो और नये कानून बीएनएस की धारा 63 के अपवाद दो को रद करने की मांग की गई है जो पति को दुष्कर्म से छूट देता है।
वरिष्ठ वकील गोपाल शंकर नारायण ने एक दिन का समय मांगा
बुधवार को मामला प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, जेबी पार्डीवाला और मनोज मिश्रा की पीठ के समक्ष सुनवाई पर लगा था। पीठ ने जब पक्षकारों के वकीलों से पूछा कि वे बहस के लिए कितना समय लेंगे, इस पर वरिष्ठ वकील गोपाल शंकर नारायण ने एक दिन का समय मांगा। उन्होंने कहा कि जितनी सामग्री रिकॉर्ड पर रखी गई है उसे देखते हुए उन्हें बहस के लिए एक दिन का समय चाहिए होगा।