Move to Jagran APP

मणिपुर में महिलाओं पर हुई हिंसा की प्रकृति की जांच करे समिति, SC ने कहा- लोगों की रक्षा करना राज्य का कर्तव्य

मणिपुर में महिलाओं पर जिस तरह से गंभीर अत्याचार किए गए उस पर नाराजगी व्यक्त करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि भीड़ दूसरे समुदाय को अधीनता का संदेश देने के लिए यौन हिंसा का इस्तेमाल करती है। शीर्ष अदालत ने अपने द्वारा गठित सेवानिवृत्त न्यायाधीशों की तीन सदस्यीय समिति से चार मई से मणिपुर में महिलाओं के खिलाफ हुई हिंसा की प्रकृति की जांच करने को भी कहा।

By AgencyEdited By: Sonu GuptaUpdated: Sat, 12 Aug 2023 12:32 AM (IST)
Hero Image
मणिपुर में महिलाओं पर हुई हिंसा की प्रकृति की जांच करे समितिः SC।
नई दिल्ली, पीटीआई। मणिपुर में महिलाओं पर जिस तरह से गंभीर अत्याचार किए गए, उस पर नाराजगी व्यक्त करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि भीड़ दूसरे समुदाय को अधीनता का संदेश देने के लिए यौन हिंसा का इस्तेमाल करती है। राज्य इसे रोकने के लिए बाध्य है। शीर्ष अदालत ने अपने द्वारा गठित सेवानिवृत्त न्यायाधीशों की तीन सदस्यीय समिति से चार मई से मणिपुर में महिलाओं के खिलाफ हुई हिंसा की प्रकृति की जांच करने को भी कहा।

महिलाओं को हिंसा का शिकार बनाना अस्वीकार्यः SC

प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि महिलाओं को यौन अपराधों और हिंसा का शिकार बनाना पूरी तरह से अस्वीकार्य है। यह गरिमा, व्यक्तिगत स्वतंत्रता और स्वायत्तता के संवैधानिक मूल्यों का गंभीर उल्लंघन है। भीड़ आमतौर पर कई कारणों से महिलाओं के खिलाफ हिंसा का सहारा लेती है। इसमें यह तथ्य भी शामिल है कि यदि व्यक्ति किसी बड़े समूह का सदस्य है, तो वह अपने अपराधों के लिए सजा से बच सकता है।

लोगों की रक्षा करना राज्य का कर्तव्य

पीठ ने कहा कि सांप्रदायिक हिंसा के समय भीड़ उस समुदाय को अधीनता का संदेश भेजने के लिए यौन हिंसा का इस्तेमाल करती है, जिससे पीड़ित लोग आते हैं। संघर्ष के दौरान महिलाओं के खिलाफ इस तरह की गंभीर हिंसा अत्याचार के अलावा और कुछ नहीं है। लोगों को ऐसी निंदनीय हिंसा करने से रोकना और हिंसा के दौरान शिकार बनाए गए लोगों की रक्षा करना राज्य का परम कर्तव्य है। पीठ के अन्य जजों में जस्टिस जेबी पार्डीवाला और मनोज मिश्रा शामिल हैं।

गुरुवार रात को आया था फैसला

सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला सात अगस्त को आया था, जिसे गुरुवार रात को अपलोड किया गया था। शीर्ष अदालत ने यह भी कहा कि पुलिस के लिए आरोपित व्यक्ति की शीघ्र पहचान करना और उसे गिरफ्तार करना महत्वपूर्ण है, क्योंकि जांच पूरी करने के लिए उनकी आवश्यकता हो सकती है। इसके अलावा आरोपित सुबूतों के साथ छेड़छाड़ या उन्हें नष्ट करने, गवाहों को डराने और अपराध स्थल से भागने का प्रयास कर सकता है।