Supreme Court Collegium: सुप्रीम कोर्ट ने कहा- विचार व्यक्त करने से कोई संवैधानिक पद के अयोग्य नहीं हो जाता
सुप्रीम कोर्ट कलेजियम ने सोमशेखर सुंदरेसन की बांबे हाई कोर्ट में न्यायाधीश के रूप में नियुक्ति की सिफारिश दोहराते हुए कहा है कि प्रस्तावित उम्मीदवार के विचार व्यक्त करने से वह संवैधानिक पद धारण करने के अयोग्य नहीं हो जाता जब तक कि वह योग्य और सत्यनिष्ठ है। File Photo
By Jagran NewsEdited By: Devshanker ChovdharyUpdated: Fri, 20 Jan 2023 06:07 AM (IST)
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट कलेजियम ने सोमशेखर सुंदरेसन की बांबे हाई कोर्ट में न्यायाधीश के रूप में नियुक्ति की सिफारिश दोहराते हुए कहा है कि प्रस्तावित उम्मीदवार के विचार व्यक्त करने से वह संवैधानिक पद धारण करने के अयोग्य नहीं हो जाता, जब तक कि वह योग्य और सत्यनिष्ठ है। कलेजियम ने दिल्ली हाई कोर्ट के लिए सौरभ किरपाल व कलकत्ता हाई कोर्ट के लिए अमितेश बनर्जी और साक्य सेन के नामों की सिफारिश भी दोहराई है।
इसके अलावा कलेजियम ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के लिए नौ और कुल 20 न्यायाधीशों की मद्रास, इलाहाबाद और कर्नाटक हाई कोर्टों में नियुक्ति की सिफारिश की है। सुप्रीम कोर्ट कलेजियम द्वारा नियुक्ति की सिफारिशें दोहराना और वेबसाइट पर अपलोड नोट में सिफारिशें दोहराने के साथ उसके कारण भी स्पष्ट किया जाना हाई कोर्टों और सुप्रीम कोर्ट में न्यायाधीशों की नियुक्तियों को लेकर सरकार और न्यायपालिका में चल रही खींचतान के बीच महत्वपूर्ण तथ्य है।
कलेजियम ने सरकार की ओर से पुनर्विचार के लिए वापस भेजे चार नामों को 18 जनवरी को हुई बैठक में दोहराया है। कलेजियम की बैठक के बाद सुप्रीम कोर्ट वेबसाइट पर डाले गए ब्योरे के मुताबिक बांबे हाई कोर्ट के कलेजियम ने हाई कोर्ट में नियुक्ति के लिए चार अक्टूबर, 2021 को सोमशेखर सुंदरेसन के नाम की सिफारिश की थी। जिसके बाद 16 फरवरी, 2022 को सुप्रीम कोर्ट कलेजियम ने सुंदरेसन की बांबे हाई कोर्ट में न्यायाधीश पद पर नियुक्ति की सिफारिश सरकार को भेजी, लेकिन सरकार ने 25 नवंबर को सुंदरेसन का नाम पुनर्विचार के लिए कलेजियम को वापस भेज दिया था।
सरकार की सुंदरेसन के नाम पर पुनर्विचार की मांग का आधार था कि उन्होंने अदालत में विचाराधीन विषयों पर इंटरनेट मीडिया पर विचार व्यक्त किए हैं। कलेजियम ने पुनर्विचार के बाद कहा कि उम्मीदवार के इंटरनेट मीडिया पर दिए गए विचारों से यह अनुमान लगाने का कोई आधार नहीं बनता कि वह पक्षपाती है। कलेजियम ने कहा कि सभी नागरिकों को संविधान के अनुच्छेद 19(1)(ए) के तहत अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार है।
उम्मीदवार द्वारा विचारों की अभिव्यक्ति उसे संवैधानिक पद पर रहने के लिए अयोग्य नहीं बनाती, जब तक कि न्यायाधीश पद के लिए प्रस्तावित व्यक्ति योग्यता और सत्यनिष्ठा वाला व्यक्ति है। सुंदरेसन की वाणिज्यिक कानून में विशेषज्ञता है और वह बांबे हाई कोर्ट के लिए परिसंपत्ति की तरह होंगे। उनमें न्यायाधीश के लिए होने वाली सारी योग्यताएं हैं और कलेजियम उनकी नियुक्ति की 16 फरवरी, 2022 की सिफारिश दोहराती है, उनकी नियुक्ति की जाए।
इसके साथ ही कलेजियम ने वरिष्ठ वकील सौरभ किरपाल को दिल्ली हाई कोर्ट का न्यायाधीश नियुक्त करने की सिफारिश दोहराई है। कलेजियम ने सौरभ किरपाल के यौन अभिव्यक्ति के कारण उनका नाम वापस भेजे जाने पर असहमति जताई है। कलेजियम ने कहा कि न्यायाधीश के रूप में नियुक्ति के लिए संभावित उम्मीदवार के रूप में उन्होंने अपनी यौन अभिव्यक्ति गोपनीय नहीं रखी। संवैधानिक रूप से मान्यता प्राप्त अधिकारों को ध्यान में रखते हुए इस आधार पर उनकी उम्मीदवारी खारिज करना सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित संवैधानिक सिद्धांतों के विरुद्ध होगा।
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