'समय पर न्याय न मिलना कानून के शासन के लिए विनाशकारी', सुप्रीम कोर्ट ने मद्रास HC का आदेश निरस्त करते हुए की टिप्पणी
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को मद्रास हाई कोर्ट की मदुरै पीठ के अप्रैल 2021 के एक आदेश को निरस्त करते हुए कहा कि जल्द एवं समय पर न्याय न मिलना लंबे समय में कानून के शासन के लिए विनाशकारी हो सकता है। कोर्ट ने कहा कि न्याय प्रशासन नागरिकों के विश्वास पर आधारित है और ऐसा कुछ भी नहीं किया जाना चाहिए जिससे उस विश्वास को जरा भी ठेस पहुंचे।
पीटीआई, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि जल्द एवं समय पर न्याय न मिलना लंबे समय में कानून के शासन के लिए विनाशकारी हो सकता है। शीर्ष अदालत ने इस बात पर जोर दिया कि अदालतों को बिना किसी वैध कारण के कार्यवाही में देरी करने के किसी भी प्रयास को शुरुआत में ही रोक देना चाहिए।
कोर्ट ने कहा कि न्याय प्रशासन नागरिकों के विश्वास पर आधारित है और ऐसा कुछ भी नहीं किया जाना चाहिए, जिससे उस विश्वास को जरा भी ठेस पहुंचे। जस्टिस बीआर गवई और केवी विश्वनाथन की पीठ ने कहा कि पीड़ित, आरोपित और समाज की यह वैध अपेक्षा है कि उचित समय के भीतर न्याय मिले।
समय पर न्याय कानून के शासन का एक महत्वपूर्ण पहलू: कोर्ट
पीठ ने कहा, 'इसमें कोई संदेह नहीं है कि शीघ्र और समय पर न्याय कानून के शासन का एक महत्वपूर्ण पहलू है। जल्द और समय पर न्याय नहीं मिलना लंबे समय में कानून के शासन के लिए विनाशकारी हो सकता है। भले ही किसी मामले में शामिल पक्षकार बिना किसी वैध औचित्य के कार्यवाही में देरी करने का प्रयास करें, अदालतों को सतर्क रहने और ऐसे किसी भी प्रयास को तुरंत रोकने की आवश्यकता है।'सुप्रीम कोर्ट ने मद्रास हाई कोर्ट की मदुरै पीठ के अप्रैल 2021 के आदेश को निरस्त कर दिया, जिसमें एक मामले में आगे की जांच का आदेश दिया गया था। शीर्ष अदालत ने कहा कि एक व्यक्ति की कथित हत्या के संबंध में शिकायत पर मार्च 2013 में प्राथमिकी दर्ज की गई थी तथा मामले में अंतिम रिपोर्ट दाखिल की गई थी। जब पुलिस ने पहले ही आरोपपत्र दाखिल कर दिया है और आगे की जांच के लिए आवेदक ने साक्ष्य में कुछ भी नया नहीं बताया है, तो आगे की जांच की अनुमति नहीं दी जा सकती।