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Supreme Court: सत्तासीन लोगों को विरोधियों को दबाने की अनुमति देकर लोकतंत्र नहीं गवां सकते- सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सत्तारूढ़ दलों को सरकारी मशीनरी के इस्तेमाल से अपने राजनीतिक विरोधियों की बुद्धिमता को कुचलने की इजाजत देकर देश लोकतंत्र खोने का जोखिम नहीं उठा सकता। कोर्ट ने यह टिप्पणी द्रमुक और अन्नाद्रमुक की क्रमिक सरकारों के बीच चल रहे टकराव को लेकर की।

By AgencyEdited By: Mohd FaisalUpdated: Wed, 12 Apr 2023 02:49 AM (IST)
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सत्तासीन लोगों को विरोधियों को दबाने की अनुमति देकर लोकतंत्र नहीं गवां सकते- सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली, एजेंसी। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि सत्तारूढ़ दलों को सरकारी मशीनरी के इस्तेमाल से अपने राजनीतिक विरोधियों की बुद्धिमता को कुचलने की इजाजत देकर देश लोकतंत्र खोने का जोखिम नहीं उठा सकता।

शीर्ष अदालत ने मद्रास हाई कोर्ट के आदेश को किया रद

शीर्ष अदालत ने यह टिप्पणी तमिलनाडु में एक रोजगार योजना को लेकर द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) और अखिल भारतीय अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कषगम (अन्नाद्रमुक) की क्रमिक सरकारों के बीच चल रहे टकराव को लेकर की। शीर्ष अदालत ने मद्रास हाई कोर्ट के उस आदेश को रद कर दिया, जिसमें तमिलनाडु सरकार को 'ग्राम स्तरीय कार्यकर्ता' पदनाम के तहत पद बनाने का निर्देश दिया गया था, जिसे 'मक्कल नाला पनियालारगल' (एमएनपी) के रूप में जाना जाता है।

'मक्कल नाला पनियालारगल' योजना की थी शुरू

दरअसल, यह उन लोगों को समायोजित करता है जो 8 नवंबर, 2011 के सरकारी आदेश के जारी होने की तारीख को खाली पदों के खिलाफ एमएनपी के तौर पर कार्य कर रहे थे। एम करुणानिधि के नेतृत्व वाली पूर्व द्रमुक सरकार ने राज्य भर में 12,617 ग्राम पंचायतों में शिक्षित युवाओं को रोजगार देने के लिए 'मक्कल नाला पनियालारगल' योजना शुरू की थी।

अन्नाद्रमुक सरकार ने 1991 में इस योजना को समाप्त किया

हालांकि, द्रमुक सरकार के बाद सत्ता में आई अन्नाद्रमुक सरकार ने 1991 में इस योजना को समाप्त कर दिया था। द्रमुक सरकार ने एक बार फिर 1997 में सत्ता में आने के बाद इस योजना को लागू कर दिया, जिसे एक बार फिर अन्नाद्रमुक ने 2001 में सत्ता में आने पर पर समाप्त कर दिया। यह सिलसिला 2006 और 2011 में भी चलता रहा था।

जस्टिस अजय रस्तोगी और बेला एम त्रिवेदी की पीठ ने क्या कहा

मंगलवार को सुनाए गए फैसले में जस्टिस अजय रस्तोगी और जस्टिस बेला एम त्रिवेदी की पीठ ने कहा कि रिकार्ड के अनुसार जब भी योजना को छोड़ने या समाप्त करने का निर्णय लिया गया, वह केवल राजनीतिक कारणों से लिया गया और इस बारे में कोई ठोस या वैध कारण नहीं बताया गया। पीठ ने कहा कि राजनीतिक दलों को सरकारी मशीनरी के इस्तेमाल से अपने राजनीतिक विरोधियों की बुद्धिमता को खत्म करने की अनुमति देकर हम अपने देश में लोकतंत्र को खोने का जोखिम नहीं उठा सकते।