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'अदालतों के लिए सरकार एकलवादी, संबंधित विभागों से बातचीत के बाद ही आएं आगे', ऐसा क्यों बोला सुप्रीम कोर्ट?

सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि अदालतों के लिए सरकार एकल वादी है। इसलिए उसे अपने सभी संबंधित विभागों से परामर्श करने के बाद अदालत के सामने अपने एकीकृत या समग्र रुख के साथ ही आना चाहिए। जस्टिस बीआर गवई के नेतृत्व वाली पीठ ने सोमवार को कहा कि मिजोरम सरकार में वन और राजस्व विभाग में मई 1965 की एक अधिसूचना को लेकर विवाद है।

By Agency Edited By: Shubhrangi Goyal Updated: Mon, 23 Sep 2024 09:07 PM (IST)
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अदालतों के लिए सरकार एकलवादी बोला sc

पीटीआई, नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि अदालतों के लिए सरकार एकल वादी है। इसलिए उसे अपने सभी संबंधित विभागों से परामर्श करने के बाद अदालत के सामने अपने एकीकृत या समग्र रुख के साथ ही आना चाहिए।

जस्टिस बीआर गवई के नेतृत्व वाली पीठ ने सोमवार को कहा कि मिजोरम सरकार में वन और राजस्व विभाग में मई, 1965 की एक अधिसूचना को लेकर विवाद है। सर्वोच्च अदालत ने इस बात का भी संज्ञान लिया कि गुवाहाटी हाईकोर्ट की एजल खंडपीठ ने जनवरी, 2021 में असम के गजट की 19 मई, 1965 की अधिसूचना के सिलसिले में अपनी याचिका लगाई है।

15 अन्य नदियों को संरक्षित वन घोषित किया

मिजो जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी ने एक आदेश पारित करके तुरियल नदी के एक तरफ आधे मील के जंगल को और 15 अन्य नदियों को परिषद का संरक्षित वन को घोषित किया था जो कानून के तहत टिकाऊ नहीं है।

नई याचिका दायर करने की मांगी अनुमति

कोर्ट ने कहा कि सरकार ने पहले हाईकोर्ट की एक पीठ में याचिका दायर करने को अपील को वापस लेने की छूट के साथ ही जरूरत पड़ने पर एक नई याचिका दायर करने की भी अनुमति मांगी है। सर्वोच्च अदालत ने सरकार के विभिन्न पक्षों के हलफनामे का भी संज्ञान लिया जिसमें मिजोरम सरकार, नेशनल हाईवे औरएनएचआइडीसीएल शामिल हैं।