आवारा कुत्तों को रखने का मतलब यह नहीं है कि आप लोगों के जीवन को प्रभावित करेंगे- सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश की समरिन बानो की याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि आवारा कुत्तों को रखने का मतलब यह नहीं है कि उन्हें सड़कों पर ले जाया जाए और लोगों के जीवन को प्रभावित किया जाए।
By AgencyEdited By: Achyut KumarUpdated: Fri, 18 Nov 2022 01:47 PM (IST)
नई दिल्ली, पीटीआइ। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने शुक्रवार को 60 से अधिक आवारा कुत्तों के संरक्षण की मांग करने वाली एक महिला की याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया, जिसे उसने पालने का दावा किया था। न्यायमूर्ति एम आर शाह (Justices M R Shah) और न्यायमूर्ति एम एम सुंदरेश (Justice M M Sundresh) की पीठ ने याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील से एक अलग पीठ के समक्ष लंबित इसी तरह के मामले में अभियोग चलाने की मांग करने वाली याचिका दायर करने को कहा।
'आवारा कुत्तों को रखने का मतलब यह नहीं कि आप उन्हें सड़कों पर ले जाएंगे'
पीठ ने कहा, 'आवारा कुत्तों को रखने का मतलब यह नहीं है कि आप उन्हें सड़कों पर ले जाएंगे, लड़ेंगे और लोगों के जीवन को प्रभावित करेंगे...' पीठ ने अपने आदेश में कहा, 'जैसा कि बताया गया है कि इसी तरह के मुद्दे पर, एक अन्य पीठ मामले पर विचार कर रही है, वर्तमान रिट याचिका पर विचार नहीं किया जाता है।'
समरिन बानो की याचिका पर हुई सुनवाई
शीर्ष अदालत मध्य प्रदेश की समरीन बानो की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें कहा गया था कि राज्य में आवारा कुत्तों की रक्षा नहीं की जा रही है। उसने आरोप लगाया कि अधिकारी कोई कार्रवाई नहीं कर रहे हैं और 67 आवारा कुत्तों के लिए सुरक्षा की मांग की, जिन्हें उन्होंने पालने का दावा किया था।ये भी पढ़ें: सुप्रीम कोर्ट में अब हर रोज 13 बेंच करेगी ट्रांसफर याचिकाओं की सुनवाई- CJI चंद्रचूड़
13 बेंच 10 ट्रांसफर याचिकाओं पर करेगी सुनवाई
प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में लंबित ट्रांसफर याचिकाओं का जल्द निपटारा किया जाएगा। यह फैसला सभी जजों की सहमति से लिया गया हैा उन्होंने कहा कि 13 बेंच वैवाहिक विवादों से संबंधित 10 ट्रांसफर याचिकाओं पर सुनवाई करेगी।ये भी पढ़ें: Indian Judiciary: जजों की कमी से जूझ रहे कोर्ट, देश के सर्वोच्च न्यायालय में भी 7 जजों के पद रिक्त