Supreme Court on Abortion: अविवाहित महिलाएं भी करा सकेंगीं 24 हफ्ते के अंदर अबार्शन, वैवाहिक दुष्कर्म भी होगा गर्भपात का आधार
Supreme Court Decision on Abortion Rights सुप्रीम कोर्ट ने गर्भपात को लेकर बड़ा फैसला किया है। कोर्ट के अनुसार विवाहित और अविवाहित महिलाओं के बीच भेद कृत्रिम है। कोर्ट ने इसी के साथ कहा कि अविवाहित महिला को भी एमटीपी के तहत गर्भपात का अधिकार होना चाहिए।
By JagranEdited By: Mahen KhannaUpdated: Thu, 29 Sep 2022 01:38 PM (IST)
नई दिल्ली, जेएनएन। सुप्रीम कोर्ट ने आज एक बड़ा फैसला किया है। कोर्ट ने कहा कि मेडिकल टर्मिनेशन आफ प्रेग्नेंसी (MTP) एक्ट के तहत अविवाहित महिला को भी गर्भपात का अधिकार है। शीर्ष न्यायालय ने कहा कि विवाहित और अविवाहित महिलाओं के बीच भेद कृत्रिम और संवैधानिक रूप से टिकाऊ नहीं है। कोर्ट के इस फैसले के बाद अब एमटीपी के तहत अविवाहित महिला को भी 24 हफ्ते तक गर्भपात कराने का अधिकार मिल गया है।
गर्भपात सभी महिलाओं का अधिकार
कोर्ट ने कहा कि किसी भी महिला के वैवाहिक होने या न होने को लेकर हम गर्भपात का अधिकार उनसे नहीं छीन सकते हैं। बता दें कि कोर्ट के आदेश से पहले सामान्य मामलों में 20 हफ्ते से अधिक और 24 हफ्ते से कम के गर्भपात का अधिकार केवल विवाहित महिलाओं को ही था।न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ की पीठ ने सुनाया फैसला
न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति एएस बोपन्ना की पीठ ने एमटीपी अधिनियम की व्याख्या पर फैसला सुनाया है। कोर्ट ने कहा कि अविवाहित या एकल महिलाओं को विवाहिता की तरह 24 सप्ताह तक गर्भपात का लाभ दिया जा सकता है।दुष्कर्म में वैवाहिक दुष्कर्म भी शामिल
सुप्रीम कोर्ट ने आगे कहा कि पति द्वारा किया जाने वाला दुष्कर्म 'मैरिटल दुष्कर्म' की दशा में भी पत्नी 24 सप्ताह की तय सीमा में अबार्शन करा सकती है। एमटीपी के तहत अब इन महिलाओं को भी अधिकार दिया जाना चाहिए।