Supreme Court: केंद्र और राज्य सरकारों पर SC सख्त, निचली अदालत के न्यायाधीशों का बकाया भुगतान करने का दिया आखिरी मौका
पीठ ने कहा प्रथम दृष्टया हमारा मानना है कि सभी चूककर्ता राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिव अवमानना कर रहे हैं। अनुपालन का एक आखिरी अवसर देने के लिए हम निर्देश देते हैं कि निर्देश 8 दिसंबर 2023 को या उससे पहले प्रभावी होंगे। ऐसा न करने पर सभी दोषी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिव व्यक्तिगत रूप से इस अदालत के समक्ष उपस्थित रहेंगे।
By Jagran NewsEdited By: Siddharth ChaurasiyaUpdated: Thu, 23 Nov 2023 04:21 PM (IST)
पीटीआई, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने दूसरे राष्ट्रीय न्यायिक वेतन आयोग (एसएनजेपीसी) की सिफारिशों के अनुसार निचली अदालत के न्यायाधीशों के वेतन बकाया और अन्य बकाया राशि का भुगतान करने के लिए राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को गुरुवार को आखिरी मौका दिया। मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली तीन-न्यायाधीशों की पीठ ने कहा कि 19 मई के उसके निर्देशों के बावजूद कुछ राज्यों ने या तो पूरी तरह से या आंशिक रूप से उनका अनुपालन नहीं किया है।
अदालत ने मुख्य सचिवों को दिया सख्त निर्देश
पीठ ने कहा, "प्रथम दृष्टया हमारा मानना है कि सभी चूककर्ता राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिव अवमानना कर रहे हैं। अनुपालन का एक आखिरी अवसर देने के लिए हम निर्देश देते हैं कि निर्देश 8 दिसंबर, 2023 को या उससे पहले प्रभावी होंगे। ऐसा न करने पर सभी दोषी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिव व्यक्तिगत रूप से इस अदालत के समक्ष उपस्थित रहेंगे।" पीठ में न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा भी शामिल थे।
अदालत ने अपनी टिप्पणी के दौरान यह भी स्पष्ट किया कि अनुपालन का मतलब प्रत्येक न्यायिक अधिकारी और पारिवारिक पेंशन के मामले में जीवित पति-पत्नी को देय राशि का वास्तविक क्रेडिट होगा।
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सुप्रीम कोर्ट ने 19 मई को भुगतान करने का निर्देश दिया था
एक अन्य निर्देश में पीठ ने तेलंगाना हाईकोर्ट को राज्य सरकार के अधिकारियों के अनुरूप न्यायिक अधिकारियों की सेवानिवृत्ति आयु 60 से बढ़ाकर 61 वर्ष करने की भी अनुमति दी। जिला न्यायपालिका को न्यायिक प्रणाली की रीढ़ बताते हुए शीर्ष अदालत ने 19 मई को सभी राज्यों को एसएनजेपीसी की सिफारिशों के अनुसार निचली अदालत के न्यायाधीशों के वेतन बकाया और अन्य बकाया का भुगतान करने का निर्देश दिया था।न्यायालय ने राज्यों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया था कि कई मदों के तहत बकाया न्यायिक अधिकारियों के खातों में सकारात्मक रूप से जमा किया जाए और अनुपालन हलफनामा दायर किया जाए। बता दें कि शीर्ष अदालत के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति पी वी रेड्डी की अध्यक्षता वाली पीठ ने एसएनजेपीसी द्वारा 2020 में की गई सिफारिशों को स्वीकार कर लिया था।एसएनजेपीसी की सिफारिशें जिला न्यायपालिका की सेवा शर्तों के विषयों को निर्धारित करने के लिए एक स्थायी तंत्र स्थापित करने के मुद्दे से निपटने के अलावा, वेतन संरचना, पेंशन और पारिवारिक पेंशन और भत्ते को कवर करती हैं।
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