Hate Speeches: भीड़ की हिंसा और नफरत भरे भाषणों का सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र, राज्यों और चुनाव आयोग से मांगा हिसाब
सुप्रीम कोर्ट ने भीड़ की हिंसा और नफरत भरे भाषणों जैसे गंभीर मुद्दे पर केंद्र राज्यों और चुनाव आयोग तक से सिलसिलेवार हिसाब-किताब मांगा है। कोर्ट ने केंद्रीय गृह मंत्रालय के गृह सचिव से कहा कि वह सभी राज्यों और केंद्र शासित से मिली जानकारियों की तुलना करें।
By Arun Kumar SinghEdited By: Updated: Thu, 21 Jul 2022 08:46 PM (IST)
नई दिल्ली, एजेंसी। सुप्रीम कोर्ट ने भीड़ की हिंसा और नफरत भरे भाषणों जैसे गंभीर मुद्दे पर केंद्र, राज्यों और चुनाव आयोग तक से सिलसिलेवार हिसाब-किताब मांगा है। कोर्ट ने केंद्रीय गृह मंत्रालय के गृह सचिव से कहा कि वह सभी राज्यों और केंद्र शासित से मिली जानकारियों की तुलना करें। इन परिस्थितियों में बचाव संबंधी सुझावों, सुधारात्मक और समाधान संबंधी कदम उठाने के लिए सर्वोच्च अदालत के पूर्व दिशा-निर्देशों के पालन का भी जोर दिया है। यह जानकारी समाचार एजेंसी पीटीआई ने दी।
सभी राज्यों व केंद्र शासित से मिली जानकारियों की तुलना करने का निर्देश
सर्वोच्च अदालत ने नफरत भरे भाषणों और अफवाहों के सौदागरों से जुड़ी याचिकाओं के एक समूह की सुनवाई करते हुए गुरुवार को कहा कि इस मुद्दे की गंभीरता को देखते हुए गृह सचिव सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के गृह विभाग से सीधे संपर्क कर तीन हफ्ते में उनसे रिपोर्ट तलब करें और उसे राज्यवार संग्रहित करें। इसके बाद गृह सचिव राज्यवार जानकारियों को छह हफ्ते में कोर्ट के समक्ष पेश करें। जस्टिस एएम खानविल्कर के नेतृत्व वाली खंडपीठ ने इस संबंध में वर्ष 2018 के सुप्रीम कोर्ट के कुछ फैसलों का उल्लेख कर कहा कि वह व्यवस्थागत दोष को दूर करें और फालोअप एक्शन भी लागू किया जाएगा।
छह हफ्ते में रिपोर्ट तलब की गई
जस्टिस एएस ओक और जस्टिस पार्डीवाला की खंडपीठ ने मौखिक रूप से कहा, 'यह विरोधात्मक' नहीं है। सर्वोच्च अदालत ने संबंधित राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों के सचिवों से भी कहा कि वह दो हफ्ते में गृह सचिव को ब्योरा उपलब्ध कराएं और इस बात को सुनिश्चित करें कि व्यवस्थित तरीके से दिए गए आंकड़ों का संकलन किया जा सके और उसे तय समय में कोर्ट के समक्ष पेश किया जाए। खंडपीठ ने केंद्र, राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से जवाब मांगने के साथ ही कहा कि संबंधित रिट याचिकाओं को लेकर चुनाव आयोग भी तीन हफ्ते के अंदर अपना जवाब दाखिल करे। इस मामले पर अगली सुनवाई छह हफ्ते के बाद होगी।