असम में 1966 से 1971 के बीच कितने बांग्लादेशियों को दी गई नागरिकता? सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से पूछा यह सवाल
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया कि वह एक जनवरी 1966 से 25 मार्च 1971 के बीच असम में बांग्लादेशी प्रवासियों को प्रदान की गई भारतीय नागरिकता के आंकड़े उपलब्ध कराए। पीठ ने कहा कि हमारा मानना है कि केंद्र सरकार के लिए अदालत में आंकड़ों पर आधारित तथ्य रखना जरूरी होगा। हम निर्देश देते हैं कि हलफनामे को अदालत में सोमवार या उससे पहले दायर किया जाए।
By AgencyEdited By: Anurag GuptaUpdated: Thu, 07 Dec 2023 06:37 PM (IST)
पीटीआई, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को केंद्र सरकार को निर्देश दिया कि वह एक जनवरी, 1966 से 25 मार्च, 1971 के बीच असम में बांग्लादेशी प्रवासियों को प्रदान की गई भारतीय नागरिकता के आंकड़े उपलब्ध कराए। प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस एमएम सुंद्रेश, जस्टिस जेबी पार्डीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की संविधान पीठ असम में घुसपैठियों से संबंधित नागरिकता अधिनियम की धारा-6ए की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली 17 याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है।
पीठ ने राज्य सरकार को दिया यह निर्देश
पीठ ने राज्य सरकार को निर्देश दिया कि वह 11 दिसंबर से पहले हलफनामा दाखिल करने के लिए केंद्र सरकार को आंकड़े उपलब्ध कराए। साथ ही केंद्र को निर्देश दिया कि वह भारत में खासकर पूर्वोत्तर राज्यों में घुसपैठियों से निपटने के लिए उठाए गए कदमों के बारे में उसे सूचित करे। पीठ ने कहा,
यह भी पढ़ें: 'देश बचाने के लिए जरूरी फैसलों पर सरकार को मिले छूट' नागरिकता अधिनियम मामले में SC की टिप्पणीहमारा मानना है कि केंद्र सरकार के लिए अदालत में आंकड़ों पर आधारित तथ्य रखना जरूरी होगा। हम निर्देश देते हैं कि हलफनामे को इस अदालत में सोमवार या उससे पहले दायर किया जाए।
शीर्ष अदालत ने कहा कि केंद्र के हलफनामे में बांग्लादेश से आए उन प्रवासियों की संख्या होनी चाहिए जिन्हें अधिनियम की धारा-6ए के तहत भारतीय नागरिकता प्रदान की गई, इसमें इस बात का भी जिक्र होना चाहिए कि एक जनवरी, 1966 से 25 मार्च, 1971 के बीच पड़ोसी देश से भारत में कितने प्रवासी आए। पीठ ने सवाल किया कि उक्त अवधि के संदर्भ में फारेन ट्रिब्यूनल्स आर्डर, 1964 के तहत कितने लोगों की विदेशियों के रूप में पहचान हुई।
अदालत ने भारत में खासकर पूर्वोत्तर में घुसपैठियों से निपटने के लिए उठाए गए कदमों और सीमा पर लगाई गई बाड़ के बारे में भी जानकारी मांगी।इससे पूर्व दिन में पीठ ने केंद्र से सवाल पूछा कि उसने नागरिकता अधिनियम की धारा-6ए के दायरे में असम को ही क्यों रखा और बंगाल को बाहर रखा, जबकि बंगाल की बांग्लादेश के साथ सीमा कहीं ज्यादा बड़ी है।