मस्कुलर डिस्ट्रॉफी से पीड़ित बच्चों की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट सख्त, केंद्र और राज्यों से मांगा जवाब
सुप्रीम कोर्ट ने मस्कुलर डिस्ट्रॉफी से पीडि़त 251 बच्चों की याचिका पर शुक्रवार को केंद्र एम्स और सभी राज्यों से जवाब मांगा है। याचिका में इस बीमारी के बारे में जागरूकता और उपचार के लिए राष्ट्रीय कार्यक्रम शुरू करने का निर्देश देने सहित राहत की मांग की गई है। मस्कुलर डिस्ट्रॉफी जेनेटिक बीमारी है। इसमें मांसपेशियां धीरे धीरे कमजोर हो जाती हैं।
By Jagran NewsEdited By: Devshanker ChovdharyUpdated: Sat, 07 Oct 2023 12:07 AM (IST)
पीटीआई, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने मस्कुलर डिस्ट्रॉफी से पीडि़त 251 बच्चों की याचिका पर शुक्रवार को केंद्र, एम्स और सभी राज्यों से जवाब मांगा है। याचिका में इस बीमारी के बारे में जागरूकता और उपचार के लिए राष्ट्रीय कार्यक्रम शुरू करने का निर्देश देने सहित राहत की मांग की गई है।
क्या होता है मस्कुलर डिस्ट्रॉफी?
मस्कुलर डिस्ट्रॉफी जेनेटिक बीमारी है। इसमें मांसपेशियां धीरे धीरे कमजोर हो जाती हैं। कई मरीज चलने में असमर्थ हो जाते है। याचिका में कहा गया है कि मस्कुलर डिस्ट्रॉफी के इलाज के लिए दवाएं मुफ्त उपलब्ध कराई जानी चाहिए। जीन थेरेपी के लिए परीक्षण भी शुरू किया जाना चाहिए।
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केंद्र और राज्य को नोटिस जारी
प्रधान न्यायाधीश जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस जेबी पार्डीवाला की पीठ ने वकील उत्सव सिंह बैंस की दलीलों पर ध्यान दिया और याचिका पर केंद्र और अन्य को नोटिस जारी किए। याचिका में कहा गया है कि इस बीमारी के मरीजों के लिए विशिष्ट आईडी कार्ड जारी करने की मानक नीति या योजना बनाई जानी चाहिए ताकि वे सरकारी और निजी अस्पतालों में मुफ्त इलाज का लाभ उठा सकें।
याचिका में मस्कुलर डिस्ट्रॉफी वाले बच्चों के जन्म को रोकने के लिए गर्भवती महिलाओं के लिए मुफ्त प्रसवपूर्व परीक्षण की अनुमति देने और हर राज्य की राजधानी और केंद्र शासित प्रदेशों में जीन थेरेपी केंद्र स्थापित करने के लिए नीति बनाने की भी मांग की गई है।