Move to Jagran APP

सुप्रीम कोर्ट ने हिंडनबर्ग रिपोर्ट से संबंधित याचिकाओं पर सेबी से 13 फरवरी तक मांगा जवाब

सुप्रीम कोर्ट ने हिंडनबर्ग रिपोर्ट से संबंधित याचिकाओं पर सेबी से 13 फरवरी तक जवाब देने को कहा है। शीर्ष अदालत ने सेबी से यह भी बताने को कहा है कि भविष्य में निवेशकों की सुरक्षा कैसे सुनिश्चित की जाए और नियामक ढांचे को कैसे मजबूत किया जाए।

By AgencyEdited By: Achyut KumarUpdated: Fri, 10 Feb 2023 04:15 PM (IST)
Hero Image
हिंडनबर्ग रिपोर्ट से संबंधित याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने सेबी से मांगा जवाब
नई दिल्ली, एजेंसियां। सुप्रीम कोर्ट ने हिंडनबर्ग रिपोर्ट से संबंधित याचिकाओं पर सोमवार, 13 फरवरी तक सेबी से जवाब मांगा है। शीर्ष अदालत ने सेबी से कोर्ट को यह बताने के लिए कहा है कि भविष्य में निवेशकों की सुरक्षा कैसे सुनिश्चित की जाए और मौजूदा ढांचा क्या है। कोर्ट ने यह भी कहा कि सेबी बताए कि नियामक ढांचे को कैसे मजबूत किया जाए।

सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि सेबी की प्रतिक्रिया में मौजूदा नियामक ढांचा शामिल है और निवेशकों की सुरक्षा के लिए एक मजबूत तंत्र स्थापित करने की आवश्यकता है।

यह भी पढ़ें: भारत में BBC पर प्रतिबंध की मांग खारिज, हिंदू सेना की याचिका पर सुनवाई से SC का इनकार

13 फरवरी को होगी अगली सुनवाई

बता दें, हिंडनबर्ग-अदाणी मामले में शीर्ष अदालत ने भारतीय निवेशकों को हुए लाखों करोड़ रुपये के नुकसान पर चिंता जताई है। अदालत ने भविष्य में ऐसी स्थिति से बचने के लिए व्यवस्था में सुधार के लिए सेबी से सुझाव मांगे हैं। उसने एक विशेषज्ञ कमिटी बनाने का भी संकेत दिया। अगली सुनवाई 13 फरवरी को होगी।

मजबूत नियामक ढांचे की आवश्यकता

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि निवेशकों के हितों की रक्षा के लिए एक मजबूत नियामक ढांचे की आवश्यकता है और अगर केंद्र सहमत होता है, तो नियामक सुधारों का सुझाव देने के लिए एक समिति गठित की जा सकती है।

छोटे निवेशकों को हुआ भारी नुकसान

सुप्रीम कोर्ट ने हिंडनबर्ग रिसर्च रिपोर्ट की जांच के लिए शीर्ष अदालत के एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश की निगरानी में एक समिति गठित करने के निर्देश की मांग वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए यह बात कही, जिसके परिणामस्वरूप अदाणी समूह की कंपनी के शेयर की कीमतें गिर गईं और छोटे निवेशकों को भारी नुकसान हुआ। सुनवाई के दौरान, पीठ ने कहा कि वास्तव में "हमें परेशान करने वाली बात यह है कि हम भारतीय निवेशकों के हितों की रक्षा कैसे करें?"

प्रधान न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पी.एस. नरसिम्हा और जेबी पारदीवाला ने अपने आदेश में कहा कि अदालत ने सेबी का प्रतिनिधित्व कर रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता को संकेत दिया है कि देश के भीतर नियामक तंत्र को विधिवत मजबूत करने के संबंध में इसकी चिंता है, ताकि भारतीय निवेशकों को अचानक अस्थिरता से बचाया जा सके। पीठ ने कहा कि सेबी की प्रतिक्रिया में प्रासंगिक कारक शामिल हो सकते हैं और निवेशकों की सुरक्षा के लिए एक मजबूत तंत्र स्थापित करने की आवश्यकता है।

सेबी ने स्थिति पर बारीकी से रखी नजर

पीठ ने आगे कहा कि यदि केंद्र सुझाव को स्वीकार करने के लिए तैयार है, तो समिति की आवश्यक सिफारिश की जा सकती है और सॉलिसिटर जनरल द्वारा कानूनी और तथ्यात्मक मैट्रिक्स पर एक संक्षिप्त नोट सोमवार तक दाखिल किया जा सकता है। मेहता ने शीर्ष अदालत को आश्वासन दिया कि हिंडनबर्ग रिपोर्ट के मद्देनजर सेबी ने स्थिति पर बारीकी से नजर रखी है। 

दलीलें सुनने के बाद शीर्ष अदालत ने सोमवार को सुनवाई तय करते हुए सेबी को नियामक व्यवस्था और हिंडनबर्ग रिपोर्ट विवाद के मद्देनजर उठाए गए कदमों पर जवाब देने को कहा। अधिवक्ता विशाल तिवारी और एम.एल. शर्मा ने हिंडनबर्ग विवाद के संबंध में दो अलग-अलग याचिकाएं दायर की हैं।

ये भी पढ़ें:

बजट में घोषित एग्री स्टार्टअप फंड के बाद जानिए कहां हैं संभावनाएं, सफलता के लिए किन बातों का रखना पड़ेगा ध्यान

Fact Check : राहुल गांधी के साथ खड़े शख्स जर्मनी के नेता हैं, हिंडनबर्ग के मालिक नहीं