सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि गवाह का बयान अथवा उससे जिरह उसी दिन या अगले दिन की जानी चाहिए। इसके स्थगन का कोई आधार नहीं होना चाहिए। अदालत को बताया गया कि अभियोजन पक्ष के एक गवाह का बयान रिकार्ड करने में लगभग तीन महीने लग गए।
By AgencyEdited By: Amit SinghUpdated: Sun, 09 Oct 2022 04:30 AM (IST)
नई दिल्ली, एजेंसी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि गवाह का बयान अथवा उससे जिरह उसी दिन या अगले दिन की जानी चाहिए। इसके स्थगन का कोई आधार नहीं होना चाहिए। शीर्ष अदालत हत्या के एक मामले में दो व्यक्तियों को इलाहाबाद हाई कोर्ट द्वारा दी गई जमानत निरस्त करने की मांग करने वाली दो याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी।
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बयान रिकार्ड करने में लगा तीन महीनों का वक्त
अदालत को बताया गया कि अभियोजन पक्ष के एक गवाह का बयान रिकार्ड करने में लगभग तीन महीने लग गए। जस्टिस अजय रस्तोगी और सीटी रविकुमार की पीठ ने कहा, कानून यही कहता है कि मुख्य गवाही और जिरह उसी दिन या अगले दिन की जानी चाहिए।
छह सप्ताह बाद होगी सुनवाई
हाई कोर्ट ने फरवरी और मार्च में दिए गए दो अलग-अलग आदेशों में, उत्तर प्रदेश के भदोही जिले में हत्या सहित विभिन्न अपराधों के लिए दर्ज मामले में दो व्यक्तियों को जमानत दी थी। शीर्ष अदालत के समक्ष सुनवाई के दौरान पीठ को बताया गया कि सूची के अनुसार तीन प्रत्यक्षदर्शी गवाह हैं। एक गवाह का बयान दर्ज करने में तीन महीने का समय लग गया। मामले में आरोप पत्र दाखिल कर दिया गया है। पीठ ने मामले की सुनवाई के लिए छह सप्ताह बाद की तारीख निर्धारित की है। अपने आदेश में शीर्ष अदालत ने कहा कि वह यह देखना चाहेगा कि ट्रायल जज सीआरपीसी की धारा 309 के संदर्भ में शीर्ष अदालत के फैसले पर ध्यान दे सकता है। यह नोट किया गया कि ट्रायल जज न केवल मुकदमे में तेजी ला सकता है, बल्कि एक गवाह की परीक्षा-इन-चीफ या जिरह को उसी दिन या अगले दिन दर्ज किया जाना है, लेकिन रिकॉर्डिंग करते समय कोई लंबा स्थगन नहीं दिया जाना चाहिए। अभियोजन पक्ष के गवाहों का बयान।