Move to Jagran APP
5/5शेष फ्री लेख

महिला को 30 साल बाद मिला इंसाफ, पति ने शादी के बाद दे दिया था तलाक; अब कोर्ट ने क्या सुनाया फैसला?

एक फैमिली कोर्ट से बार-बार तलाक मंजूर किए जाने के खिलाफ एक महिला की कानून लड़ाई के बाद सुप्रीम कोर्ट में दस्तक देने पर सर्वोच्च अदालत ने अपना फैसला सुनाया है। अब तलाक की पहली डिक्री मंजूर करते हुए कोर्ट ने कहा पति को तीन महीने के अंदर 30 लाख रुपये पर सात प्रतिशत ब्याज के साथ 3 अगस्त 2006 से अब तक के हिसाब से गुजारा भत्ता देना होगा।

By Agency Edited By: Shubhrangi Goyal Updated: Tue, 03 Sep 2024 08:11 PM (IST)
Hero Image
मैरिज के आधार पर तलाक का लाभ नहीं मिल सकता (photo-jagran)

पीटीआई, नई दिल्ली। एक फैमिली कोर्ट से बार-बार तलाक मंजूर किए जाने के खिलाफ एक महिला की लंबी कानून लड़ाई के बाद सुप्रीम कोर्ट में दस्तक देने पर सर्वोच्च अदालत ने इस एकाकी महिला के प्रति पूरी तरह से विचारशून्यता दिखाई जाने की बात कही है। जस्टिस सूर्यकांत और उज्जवल भुइयां की खंडपीठ ने मंगलवार को कहा कि विवाह संबंधी विवादों के इतिहास में इससे पहले तलाक की कानूनी लड़ाई तीन दशकों तक नहीं खिंची है।

जबकि पीड़िता को इस अवधि में कोई गुजारा भत्ता नहीं दिया गया। सर्वोच्च अदालत ने अपने आदेश में तलाक की पहली डिक्री मंजूर करते हुए कहा कि पति को तीन महीने के अंदर 30 लाख रुपये पर सात प्रतिशत के ब्याज के साथ 3 अगस्त, 2006 से अब तक के हिसाब से गुजारा भत्ता देना होगा।

फैमिली कोर्ट में लगाई तलाक की अर्जी

बेटे की स्कूली शिक्षा और कॉलेज की पढ़ाई का भी खर्च देना होगा। साथ ही अगर कोई अचल संपत्ति है तो बेटे से विरासत में साझा करनी होगी। साल 1991 में विवाह होने के बाद इस महिला ने अगले साल ही एक बेटे को जन्म दिया। अपने पति की परितक्या के तौर पर वह एक लंबी कानूनी लड़ाई लड़ती रही क्योंकि उसके पति ने कर्नाटक के एक फैमिली कोर्ट में उसके खिलाफ तलाक की अर्जी लगाई थी। तीन बार उसके पति के पक्ष में फैसला आया और तलाक मंजूर कर दिया गया।

निचली अदालत ने हर बार इस तथ्य को नजरंदाज किया कि उसका पति उसे और उसके नाबालिग बच्चे को कोई गुजारा भत्ता नहीं देता है। तलाक के फैसले के खिलाफ अपील में हाई कोर्ट ने कई बार फैमिली कोर्ट से कहा कि उसके पति की याचिका को नए सिरे से दायर कराएं। हर बार उसका पति तलाक लेने में कामयाब हो जाता था।