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'फास्टर सेल पर आदेशों को देखें जेल अधिकारी', जमानत आदेशों का पालन नहीं होने पर SC ने जारी किए निर्देश

सुप्रीम कोर्ट ने जेल अधिकारियों द्वारा अपने जमानत आदेशों का पालन नहीं करने पर संज्ञान लिया है और त्वरित अनुपालन के लिए फास्टर सेल के जरिये आदेशों को देखने के लिए जेल अधिकारियों को कई निर्देश जारी किए हैं। पीठ ने कहा कि इस अदालत द्वारा कई जमानत आदेश जारी किए जा रहे हैं जिनका जेल अधिकारियों को पालन करने की जरूरत है।

By Agency Edited By: Anurag GuptaUpdated: Wed, 20 Mar 2024 11:45 PM (IST)
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सुप्रीम कोर्ट ने लिया संज्ञान (फाइल फोटो)
पीटीआई, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने जेल अधिकारियों द्वारा अपने जमानत आदेशों का पालन नहीं करने पर संज्ञान लिया है और त्वरित अनुपालन के लिए 'फास्टर सेल' के जरिये आदेशों को देखने के लिए जेल अधिकारियों को कई निर्देश जारी किए हैं। फास्ट एंड सिक्योर्ड ट्रांसमिशन ऑफ इलेक्ट्रानिक रिका‌र्ड्स (फास्टर) सॉफ्टवेयर को तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश एनवी रमणा ने मार्च, 2022 में लॉन्च किया था ताकि अनुपालन में विलंब से बचने के लिए अदालत के आदेशों का इलेक्ट्रानिक मोड में तेज और सुरक्षित ट्रांसमिशन हो सके।

जस्टिस अभय एस. ओका और जस्टिस उज्ज्वल भुइयां की पीठ ने कहा,

इस अदालत द्वारा कई जमानत आदेश जारी किए जा रहे हैं जिनका जेल अधिकारियों को पालन करने की जरूरत है। इस अदालत द्वारा जारी आदेशों पर कार्रवाई करना और उनके मुताबिक संबंधित अदालत में आरोपित की पेशी सुनिश्चित करना जेल अधिकारियों का दायित्व है।

शीर्ष अदालत ने अधिवक्ता समरहर सिंह के जरिये दायर विभिन्न अर्जियों पर यह आदेश जारी किया। एक याचिका में कहा गया था कि याचिकाकर्ता लक्ष्मण राम को आपराधिक मामले में पांच फरवरी को जमानत मिलने के बावजूद जेल अधिकारियों ने रिहा नहीं किया।

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शीर्ष अदालत ने निर्देश दिया था कि लक्ष्मण राम को सात दिनों के भीतर ट्रायल कोर्ट में पेश किया जाए। हालांकि, शीर्ष कोर्ट के 16 फरवरी को अर्जी पर सुनवाई करने के लिए सहमत होने से पहले लक्ष्मण राम को कैद से रिहा कर दिया गया था। 16 फरवरी को पीठ ने कहा था कि संबंधित व्यक्ति की रिहाई के बावजूद ट्रायल कोर्ट के समक्ष आरोपितों को पेश करने में देरी से संबंधित मुद्दे पर विचार करना होगा।

कोर्ट ने बनाया 'फास्टर सेल' नाम प्रोटोकाल

चार मार्च को जारी पिछले आदेश में पीठ ने कहा था कि जमानत आदेश के प्रभावी कम्युनिकेशन के लिए अदालत ने 'फास्टर सेल' नामक प्रोटोकाल बनाया है और इसके क्रियान्वयन के लिए मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) भी बनाई है। पीठ ने कहा,

हम देशभर की विभिन्न जेलों के अधीक्षकों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश देते हैं कि एसओपी के मुताबिक दिन में दो बार (सुबह और शाम को) ई-मेल देखी जाए। आदेशों पर संज्ञान लेकर जेल अधिकारी संबंधित अदालतों के समक्ष आरोपितों को प्रस्तुत करें।

पीठ ने कहा कि 'फास्टर' प्रोजेक्ट का सबसे प्रासंगिक पहलू यह है कि सभी जमानत आदेश ई-मेल के जरिये संबंधित अधिकारियों को अग्रसारित किए जाते हैं जैसे- राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों के नोडल अधिकारी, जिला अदालतें एवं जेल अधीक्षक।

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अदालत ने कहा कि इस अदालत के जमानत आदेशों पर डिजिटल सिग्नेचर और क्यूआर कोड होते हैं। फास्टर सेल पर आदेश अपलोड होते ही तत्काल एसएमएस भी जनरेट होता है। पीठ ने कहा कि अपलोड किए गए आदेश को लेकर अगर कोई संदेह होता है तो जेल अधिकारी शीर्ष अदालत की वेबसाइट पर जाकर पुष्टि कर सकते हैं।