सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से कहा- जांच करें कैसे दिव्यांगों को सिविल सेवाओं की श्रेणियों में रखा जाता है...!
इस मामले में केंद्र की ओर से पेश अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणि ने कहा कि सरकार मामले को देख रही है और कुछ समय की मांग की। कोर्ट ने कहा कि वो इस मामले पर आठ हफ्ते बाद सुनवाई करेगी।
By Jagran NewsEdited By: TilakrajUpdated: Wed, 02 Nov 2022 03:01 PM (IST)
नई दिल्ली, पीटीआई। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से इस बात की जांच करने को कहा कि कैसे दिव्यांग लोगों को सिविल सेवाओं में विभिन्न श्रेणियों में रखा जाता है। न्यायमूर्ति एस ए नज़ीर और न्यायमूर्ति वी रामसुब्रमण्यम की पीठ ने कहा कि विकलांगता के प्रति सहानुभूति एक पहलू है, लेकिन निर्णय लेते वक्त व्यावहारिकता को भी ध्यान में रखा जाना चाहिए।
सहानुभूति एक तरफ रखकर व्यावहारिकता से सोचना चाहिए
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने एक घटना का जिक्र किया जहां चेन्नई में 100 प्रतिशत अंधेपन के साथ एक व्यक्ति को सिविल जज जूनियर डिवीजन के रूप में नियुक्त किया गया। बाद में उसने तमिल पत्रिका के रूप में संपादक का काम किया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा, 'कृपया नियुक्ति की प्रक्रिया की जांच कीजिए। ये प्रक्रिया सभी श्रेणियों के लिए उपयुक्त नहीं है। हमें सहानुभूति एक तरफ रखकर व्यावहारिकता से सोचना चाहिए।'