Jallikattu: जल्लीकट्टू की कानूनी वैधता पर फिर विचार करेगा सुप्रीम कोर्ट, अभिषेक मनु सिंघवी ने पेश की दलील
सुप्रीम कोर्ट जल्लीकट्टू कानून की वैधता बरकरार रखने वाले अपने फैसले पर पुनर्विचार याचिकाओं को सूचीबद्ध करने के लिए तैयार हो गया है। प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि मैं आज याचिकाओं को सूचीबद्ध करने के बारे में भेजे गए ईमेल देखूंगा। जस्टिस केएम जोसेफ के नेतृत्व वाली पांच जजों की संविधान पीठ ने पिछले साल 18 मई को तमिलनाडु सरकार के कानून को वैध करार दिया था।
पीटीआई, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट जल्लीकट्टू कानून की वैधता बरकरार रखने वाले अपने फैसले पर पुनर्विचार याचिकाओं को सूचीबद्ध करने के लिए तैयार हो गया है। वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने दलील पेश की। उनकी दलील पर प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पार्डीवाला और मनोज मिश्रा की पीठ ने संज्ञान लिया।
प्रधान न्यायाधीश ने क्या कहा?
पीठ ने माना कि पुनर्विचार याचिकाओं को सूचीबद्ध करने और उन पर विचार करने की आवश्यकता है। प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि मैं आज याचिकाओं को सूचीबद्ध करने के बारे में भेजे गए ईमेल देखूंगा।
जलीकट्टू को खेल के तौर पर दी गई थी मान्यता
जस्टिस केएम जोसेफ के नेतृत्व वाली पांच जजों की संविधान पीठ ने पिछले साल 18 मई को तमिलनाडु सरकार के उस कानून को वैध करार दिया था, जिसमें जलीकट्टू को एक खेल के तौर पर मान्यता दी गई है।कोर्ट ने क्या कहा था?
कोर्ट ने कहा था कि तमिलनाडु का जानवरों के साथ क्रूरता कानून (संशोधन), 2017 जानवरों को होने वाले दर्द और पीड़ा को काफी हद तक कम कर देता है। जल्लीकट्टू सांडों के साथ खेला जाने वाला खेल है, जिसका आयोजन पोंगल में फसलों की कटाई के दौरान किया जाता है। तमिलनाडु के कानून मंत्री एस रघुपति ने सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले कहा था कि हमारी परंपराओं और संस्कृति की रक्षा हुई है।
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