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हत्या मामले में गवली को मिली सजा में छूट के खिलाफ याचिका पर SC करेगा विचार, मकोका के तहत ठहराया गया था दोषी

हत्या के एक मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहे गैंगस्टर से राजनेता बने अरुण गवली को दी गई छूट को चुनौती देने वाली महाराष्ट्र सरकार की याचिका पर शीर्ष अदालत विचार करेगा। कोर्ट ने कहा कि अब गवली की उम्र 71 से 72 साल है। वह अब पुराना अरुण गवली नहीं हैं।आपको उनके द्वारा किए गए अपराध के पैमाने की संभावनाओं के बारे में हमें संतुष्ट करना होगा।

By Agency Edited By: Sonu Gupta Updated: Mon, 15 Jul 2024 08:35 PM (IST)
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महाराष्ट्र सरकार की याचिका पर शीर्ष अदालत करेगा विचार। फाइल फोटो।
पीटीआई, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह हत्या के एक मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहे गैंगस्टर से राजनेता बने अरुण गवली को दी गई छूट को चुनौती देने वाली महाराष्ट्र सरकार की याचिका पर विचार करना चाहेगा।

पीठ ने क्या कहा?

न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति उज्ज्वल भुइयां की पीठ ने राज्य सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता राजा ठाकरे से कहा कि अब गवली की उम्र 71 से 72 साल है। वह अब पुराना अरुण गवली नहीं हैं। आपको उनके द्वारा किए गए अपराध के पैमाने की संभावनाओं के बारे में हमें संतुष्ट करना होगा।

अपराध की गंभीरता को रखा जाना चाहिए ध्यानः ठाकरे

ठाकरे ने कहा कि गवली विधायक थे, उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी। महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम (मकोका) के प्रविधानों के तहत दोषी ठहराया गया था। कहा कि उन्होंने जो अपराध किए हैं, वे व्यक्तियों के खिलाफ नहीं, बल्कि समाज के खिलाफ हैं। छूट का कानून बहुत स्पष्ट है कि अपराध की गंभीरता को ध्यान में रखा जाना चाहिए।

गवली के अधिवक्ता ने क्या कहा?

गवली की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता नित्या रामकृष्णन ने कहा कि उनके मुवक्किल राज्य की 2006 की नीति के तहत समय पूर्व रिहाई के हकदार हैं, जिसे विशेष रूप से वृद्ध और शारीरिक रूप से कमजोर कैदियों के लाभ के लिए बनाया गया था। उन्होंने कहा कि चिकित्सा बोर्ड ने भी प्रमाणित किया है कि गवली अपनी वृद्धावस्था के कारण अशक्त हैं।

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