मतदाता सूची डेटा को आधार से जोड़ने के केंद्र के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करेगा सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट मतसूची डेटा को आधार से जोड़ने के केंद्र सरकार के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करने के लिए सहमत हो गया है। इस याचिका को पूर्व मेजर जनरल एस जी वोम्बतकेरे ने दायर की है।
By AgencyEdited By: Achyut KumarUpdated: Mon, 31 Oct 2022 02:16 PM (IST)
नई दिल्ली, पीटीआई। सुप्रीम कोर्ट सोमवार को केंद्र के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर विचार करने के लिए सहमत हो गया है, जो मतदाता सूची डेटा को आधार पारिस्थितिकी तंत्र से जोड़ने में सक्षम बनाता है। न्यायमूर्ति एस के कौल और न्यायमूर्ति अभय एस ओका की पीठ ने पूर्व मेजर जनरल एस जी वोम्बतकेरे द्वारा दायर याचिका को इसी तरह के लंबित मामले के साथ टैग किया है।
वोट का अधिकार सर्वोच्च
पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता ने 2019 के आधार फैसले पर ध्यान आकर्षित करने के लिए यह तर्क दिया है कि केवल अगर कुछ लाभ प्रदान करने की मांग की जाती है तो आधार अनिवार्य हो सकता है, लेकिन अधिकारों से इनकार नहीं किया जा सकता है। वोट का अधिकार ऐसे अधिकारों में सर्वोच्च है।
पीठ ने कहा, 'उनके द्वारा दो अन्य याचिकाएं भी दायर की गई हैं और कुछ अतिव्यापी हो सकती हैं। इस प्रकार, इसके लिए टैगिंग की आवश्यकता है। इस याचिका को उस मामले के साथ टैग करें।'
मतदान का अधिकार सबसे पवित्र
याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता श्याम दीवान ने कहा कि मतदान का अधिकार सबसे पवित्र अधिकारों में से एक है और अगर किसी व्यक्ति के पास आधार नहीं है तो इसे अस्वीकार नहीं किया जाना चाहिए।
केंद्र ने पहले मतदाता सूची के साथ आधार विवरण को जोड़ने की अनुमति देने के लिए मतदाता पंजीकरण नियमों में संशोधन किया था, ताकि डुप्लिकेट प्रविष्टियों को हटाया जा सके और सेवा मतदाताओं के लिए चुनाव कानून को लिंग तटस्थ बनाया जा सके।