जस्टिस चंद्रचूड़ को अगले CJI की शपथ लेने से रोकने का मामला, SC ने खारिज की याचिका
CJI designate justice d y chandrachud न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ को नौ नवंबर को भारत के मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ लेने से रोकने की मांग की गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने याचिका को खारिज कर दिया। कोर्ट ने कहा याचिका पर विचार करने का कोई कारण नहीं दिखा।
By Jagran NewsEdited By: Sanjeev TiwariUpdated: Wed, 02 Nov 2022 01:48 PM (IST)
नई दिल्ली, एजेंसी। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ को अगला प्रधान न्यायाधीश बनाने और सीजेआइ पद की शपथ लेने से रोकने की मांग वाली याचिका खारिज कर दी। कोर्ट ने याचिका को पूरी तरह गलत धारणा पर आधारित (मिसकंसीव्ड) बताते हुए खारिज कर दिया। जस्टिस चंद्रचूड़ सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठतम न्यायाधीश हैं और वह अगले सीजेआइ हैं। वर्तमान सीजेआइ यूयू ललित के सेवानिवृत होने के बाद नौ नवंबर को वह सीजेआइ पद की शपथ लेंगे।
सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दाखिल हुई थी जिसमें जस्टिस चंद्रचूड़ के कुछ न्यायिक आदेशों को हितों का टकराव बताते हुए उन्हें सीजेआइ पद की शपथ लेने से रोकने की मांग की गई थी। बुधवार की सुबह प्रधान न्यायाधीश यूयू ललित की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ के समक्ष याचिका का जिक्र करते हुए वकील ने जल्दी सुनवाई की मांग की और कहा कि जस्टिस चंद्रचूड़ नौ नवंबर को सीजेआइ पद की शपथ लेने वाले हैं।इस पर जस्टिस यूयू ललित ने जल्द सुनवाई का आग्रह स्वीकार करते हुए मामले को बुधवार को ही 12.45 पर सुनवाई पर लगाने का आदेश दिया। याचिका मुरसलिन असिजित शेख की थी।
तय समय पर जब सुनवाई शुरू हुई तो याचिकाकर्ता के वकील ने पहले कहा कि जस्टिस ललित इस पर सुनवाई नहीं कर सकते क्योंकि उन्होंने उत्तराधिकारी के रूप में जस्टिस चंद्रचूड़ के नाम की सिफारिश की है। हालांकि जब पीठ ने कहा कि वे अपने याचिका में उठाई गई मूल बात बताएं तो वकील ने जस्टिस चंद्रचूड़ की पीठ के कुछ न्यायिक आदेशों को आधार बनाते हुए उनकी नियुक्ति पर आपत्ति की। वकील ने कहा कि जस्टिस चंद्रचूड़ ने कोरोना से संबंधित मामले में सुनवाई के दौरान वरिष्ठ वकील द्वारा एक याचिका का जिक्र किये जाने पर उसे संबंधित केस के साथ संलग्न करने का आदेश दिया था लेकिन इसी तरह की एक जूनियर वकील की मांग ठुकरा दी थी और उसे हस्तक्षेप अर्जी दाखिल करने को कह दिया था।
वकील ने आगे कहा कि जस्टिस चंद्रचूड़ की पीठ ने बांबे हाई कोर्ट के एक आदेश के खिलाफ एसएलपी पर सुनवाई की थी उस मामले में हाई कोर्ट में उनका बेटा वकील के रूप में पेश हुआ था। ऐसे में जस्टिस चंद्रचूड़ को उस मामले पर सुनवाई नहीं करनी चाहिए थी।बहस कर रहे वकील ने यह भी कहा कि बार काउंसिल आफ इंडिया का कहना है कि जस्टिस चंद्रचूड़ को यह मालूम नहीं था कि उस केस में हाई कोर्ट में उनका बेटा पेश हुआ है, लेकिन ये स्वीकृत बात है क्योंकि एसएलपी के साथ आदेश संलग्न था। वकील की इस दलील पर जस्टिस ललित ने कहा कि सबूत दिखआइये कि एसएलपी के साथ वह आदेश संलग्न था। वकील ने फाइल में कुछ देर ढूंढने के बाद मामले को कल तक टालने का अनुरोध किया लेकिन पीठ ने कहा नहीं आपने कहा था कि आप आज बहस करने को तैयार हैं। आपके पास अगर कोई सार या तथ्य हैं तो बताइये। कोर्ट ने दलीलें सुनने के बाद याचिका को सारहीन पाते हुए खारिज कर दिया।
दिल्ली से एलएलबी हार्वर्ड से एलएलएम
11 नवंबर, 1959 को जन्मे जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की मां प्रभा चंद्रचूड़ शास्त्रीय संगीतकार थीं। उनकी स्कूली शिक्षा मुंबई और दिल्ली में हुई। उन्होंने दिल्ली के सेंट स्टीफन कॉलेज से ग्रेजुएशन किया। इसके बाद 1982 में दिल्ली यूनिवर्सिटी से एलएलबी की। यहां से वे अमेरिका की हार्वर्ड यूनिवर्सिटी पहुंचे, जहां पहले एलएलएम पूरी की और 1986 में जूरिडिकल साइंसेस में पीएचडी की उपाधि हासिल की।