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Adani Hindenburg Case: अदाणी हिंडनबर्ग मामले में सुप्रीम कोर्ट का आज सुनाएगा फैसला, शेयरों में हेरफेर के हैं आरोप

हिंडनबर्ग की रिपोर्ट में अदाणी समूह पर शेयरों के मूल्य में हेरफेर का आरोप लगाया गया है। शीर्ष अदालत ने फैसला सुरक्षित रखते हुए कहा था कि बाजार नियामक सेबी हमारी विधायी संस्था है। उससे जांच कराई गई है। सेबी की जांच पर संदेह का कोई आधार नहीं है। सेबी से मीडिया रिपोर्ट के आधार पर निर्णय लेने को नहीं कहा जा सकता।

By Jagran News Edited By: Amit Singh Updated: Wed, 03 Jan 2024 06:30 AM (IST)
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अदाणी हिंडनबर्ग मामले में सुप्रीम कोर्ट का आज सुनाएगा फैसला
पीटीआई, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट अदाणी हिंडनबर्ग मामले में आज फैसला सुनाएगा। प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने 24 नवंबर को याचिकाओं पर फैसला सुरक्षित रख लिया था। अदाणी समूह की कंपनियों के मामले में आई हिंडनबर्ग की रिपोर्ट के आधार पर सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएं दाखिल हुई हैं। जिनमें मामले की स्वतंत्र और निष्पक्ष एजेंसी से या एसआइटी द्वारा जांच कराने की मांग की गई है।

हिंडनबर्ग की रिपोर्ट में अदाणी समूह पर शेयरों के मूल्य में हेरफेर का आरोप लगाया गया है। शीर्ष अदालत ने फैसला सुरक्षित रखते हुए कहा था कि बाजार नियामक सेबी हमारी विधायी संस्था है। उससे जांच कराई गई है। सेबी की जांच पर संदेह का कोई आधार नहीं है। सेबी से मीडिया रिपोर्ट के आधार पर निर्णय लेने को नहीं कहा जा सकता। सेबी ने अदाणी समूह के खिलाफ आरोपों की जांच की थी।

मामले में वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने तर्क दिया था कि इस मामले में सेबी की भूमिका कई कारणों से संदिग्ध थी क्योंकि नियामक के पास बहुत सारी जानकारी 2014 में ही उपलब्ध थी। सेबी की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ को बताया था कि भारत के अंदर चीजों और नीतियों को प्रभावित करने के लिए भारत के बाहर कहानियां गढ़ने की प्रवृत्ति बढ़ रही है। मेहता ने कहा था कि अडानी समूह के खिलाफ आरोपों से संबंधित 24 मामलों में से 22 की जांच पूरी हो चुकी है।

जनहित याचिकाओं में से एक में आरोप लगाया गया था कि भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड अधिनियम (सेबी अधिनियम) में बदलाव ने अदानी समूह के नियामक उल्लंघनों और बाजार में हेराफेरी को उजागर न होने देने के लिए एक 'ढाल और एक बहाना' प्रदान किया है। शीर्ष अदालत ने तब सेबी से मामले की स्वतंत्र रूप से जांच करने को कहा था और पूर्व एससी न्यायाधीश न्यायमूर्ति एएम सप्रे की अध्यक्षता में विशेषज्ञों की एक समिति गठित की थी।

हिंडनबर्ग रिसर्च द्वारा व्यापार समूह के खिलाफ धोखाधड़ी वाले लेनदेन और शेयर-मूल्य में हेराफेरी सहित कई आरोप लगाए जाने के बाद अदानी समूह के शेयरों में भारी गिरावट आई। अडानी समूह ने आरोपों को झूठ बताते हुए खारिज कर दिया और कहा कि वह सभी कानूनों और प्रकटीकरण आवश्यकताओं का अनुपालन करता है।