Supreme Court: EWS के लिए 10% आरक्षण मामले पर सोमवार को फैसला सुनाएगा सुप्रीम कोर्ट
सेवानिवृत्त होने से एक दिन पहले निर्णय सुना देंगे सीजेआइ ललित। 103वें संविधान संशोधन को शीर्ष अदालत में दी गई है चुनौती। चीफ जस्टिस यूयू ललित की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने साढ़े छह दिन सुनवाई के बाद 27 सितंबर को फैसला सुरक्षित रख लिया था।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) को नौकरियों और उच्च शिक्षण संस्थानों में 10 प्रतिशत आरक्षण मामले में सुप्रीम कोर्ट सोमवार को फैसला सुनाएगा। ईडब्ल्यूएस के लिए आरक्षण का प्रविधान करने वाले 103वें संविधान संशोधन को शीर्ष अदालत में चुनौती दी गई है। चीफ जस्टिस यूयू ललित की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने साढ़े छह दिन सुनवाई के बाद 27 सितंबर को फैसला सुरक्षित रख लिया था। जस्टिस ललित आठ नवंबर को सेवानिवृत्त हो रहे हैं। उनकी सेवानिवृत्ति से एक दिन पहले संविधान पीठ इस मामले में फैसला सुना देगी। संविधान पीठ के अन्य जजों में जस्टिस दिनेश माहेश्वरी, एस रवींद्र भट, बेला एम त्रिवेदी और जेबी पार्डीवाला शामिल हैं।
सरकार ने कोर्ट में कानून का समर्थन किया
सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिकाओं में आर्थिक आधार पर आरक्षण को संविधान के मूल ढांचे के खिलाफ बताते हुए रद करने की मांग की गई है। सरकार ने कोर्ट में कानून का समर्थन करते हुए कहा था कि यह कानून अत्यंत गरीबों के लिए आरक्षण का प्रविधान करता है।
इस लिहाज से यह संविधान के मूल ढांचे को मजबूत करता है। यह आर्थिक न्याय की अवधारणा को सार्थक करता है। इसलिए इसे मूल ढांचे का उल्लंघन करने वाला नहीं कहा जा सकता। सुनवाई की शुरुआत में ही सुप्रीम कोर्ट ने विचार के लिए संवैधानिक सवाल तय कर लिए थे।
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सवाल था कि ईडब्ल्यूएस आरक्षण संविधान के मूल ढांचे का उल्लंघन तो नहीं करता? एससी, एसटी और ओबीसी को इस आरक्षण से बाहर रखे जाने से मूल ढांचे का उल्लंघन तो नहीं होता?
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