SC ने कर्मचारी भविष्य निधि संशोधन योजना-2014 को ठहराया सही, 15 हजार मासिक वेतन पर ही तय होगी ईपीएफ पेंशन
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि कर्मचारियों की पेंशन अधिकतम 15000 रुपये मासिक वेतन के आधार पर ही तय होगी। भले ही कर्मचारी इससे अधिक वेतन पाता हो लेकिन पेंशन का निर्धारण अधिकतम 15000 रुपये मासिक वेतन के हिसाब से ही होगा।
By Jagran NewsEdited By: Amit SinghUpdated: Fri, 04 Nov 2022 11:51 PM (IST)
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली: जिन लोगों ने अधिक ईपीएफ पेंशन पाने की उम्मीदें लगा रखी थीं, सुप्रीम कोर्ट के फैसले से उन्हें निराशा हाथ लगी है क्योंकि शीर्ष अदालत ने कर्मचारी भविष्य निधि संशोधन योजना-2014 को वैध ठहराया है। हालांकि, कोर्ट ने वर्तमान कर्मचारियों के हितों को देखते हुए योजना के कुछ प्रविधानों को परिभाषित किया है और उनकी पुनव्र्याख्या की है।
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से साफ हो गया है कि कर्मचारियों की पेंशन अधिकतम 15,000 रुपये मासिक वेतन के आधार पर ही तय होगी। भले ही कर्मचारी इससे अधिक वेतन पाता हो, लेकिन पेंशन का निर्धारण अधिकतम 15,000 रुपये मासिक वेतन के हिसाब से ही होगा। सुप्रीम कोर्ट ने केरल, राजस्थान और दिल्ली हाई कोर्ट के फैसलों को चुनौती देने वाली केंद्र सरकार और ईपीएफओ की अपीलें स्वीकार कर ली हैं। इन हाई कोर्टों ने 2014 का संशोधन रद कर दिया था। कर्मचारियों की पेंशन पर असर डालने वाला यह फैसला प्रधान न्यायाधीश यूयू ललित, जस्टिस अनिरुद्ध बोस और जस्टिस सुधांशु धूलिया की पीठ ने सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट ने मामले में विस्तृत सुनवाई के बाद 11 अगस्त को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।
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विकल्प चुनने के लिए मिलेंगे चार और माह
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को दिए फैसले में कर्मचारियों के हितों को देखते हुए कुछ प्रविधानों को परिभाषित किया है। कोर्ट ने यह भी कहा है कि जिन लोगों ने मामले में स्पष्टता न होने के कारण संशोधन योजना अपनाने का विकल्प नहीं चुना था, उन्हें विकल्प चुनने के लिए चार महीने का और समय मिलेगा।
पहले सेवानिवृत्त हो गए लोग नहीं चुन सकेंगे विकल्प
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जो लोग एक सितंबर, 2014 को संशोधन लागू होने से पहले सेवानिवृत्त हो गए थे और उन्होंने विकल्प नहीं चुना था, उन्हें इस फैसले के मुताबिक योजना के तहत विकल्प चुनने का लाभ नहीं मिलेगा। कोर्ट ने कहा है कि छूट प्राप्त और गैर छूट प्राप्त प्रतिष्ठान समान माने जाएंगे। कोर्ट ने आरसी गुप्ता बनाम क्षेत्रीय भविष्य निधि आयुक्त के फैसले में दी गई व्यवस्था को सही माना है।अतिरिक्त अंशदान लेने का प्रविधान रद
शीर्ष कोर्ट ने इसके अलावा 2014 के संशोधन में 15,000 रुपये मासिक से अधिक वेतन पाने वाले कर्मचारी से 1.16 प्रतिशत अतिरिक्त अंशदान लेने के प्रविधान को गैरकानूनी ठहराते हुए रद कर दिया है। हालांकि, इस प्रविधान को रद करने का फैसला फिलहाल छह महीने के लिए टला रहेगा ताकि अथारिटीज फंड के सोर्स का इंतजाम कर लें।