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Gyanvapi Case : ज्ञानवापी मामले में सुप्रीम कोर्ट ने शिवलिंग को संरक्षित रखने का आदेश बरकरार रखा

सुप्रीम कोर्ट ने ज्ञानवापी मस्जिद परिसर का वाराणसी में खोजे गए शिवलिंग की सुरक्षा के लिए अपने आदेश बरकरार रखा है। हिंदू पक्ष के वकील जैन ने आज कोर्ट में मामले का उल्लेख करते हुए कहा था कि शिवलिंग की सुरक्षा का अंतरिम आदेश 12 नवंबर को समाप्त हो रहा।

By Jagran NewsEdited By: Ashisha Singh RajputUpdated: Fri, 11 Nov 2022 07:12 PM (IST)
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सुप्रीम कोर्ट ने वाराणसी में खोजे गए 'शिवलिंग' की सुरक्षा के लिए अपने आदेश बरकरार रखा है ।

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। बनारस में ज्ञानवापी परिसर में सर्वे के दौरान मिले शिवलिंग और उसके आसपास की सुरक्षा सुनिश्चित करने का सुप्रीम कोर्ट का 17 मई और 20 मई का अंतरिम आदेश फिलहाल जारी रहेगा। शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने शिवलिंग की सुरक्षा सुनिश्चित करने का अंतरिम आदेश, अगले आदेश तक बढ़ा दिया है। सुप्रीम कोर्ट के 17 मई और 20 मई के अंतरिम आदेश की अवधि 12 नवंबर को खत्म हो रही थी।

कोर्ट ने अंतरिम आदेश को बढ़ाया

हिन्दू पक्ष के अनुरोध और मुस्लिम पक्ष की ओर से इस पर कोई आपत्ति न जताए जाने पर कोर्ट ने अंतरिम आदेश अगले आदेश तक बढ़ा दिया। इसके साथ ही कोर्ट ने ज्ञानवापी परिसर में सर्वे के लिए एडवोकेट कमिश्नर नियुक्त करने के आदेश को चुनौती देने वाली मुस्लिम पक्ष की विशेष अनुमति याचिका पर हिन्दू पक्ष को तीन सप्ताह में जवाब दाखिल करने को कहा है।

ये आदेश शुक्रवार को प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, सूर्यकांत और पीएस नरसिम्हा की पीठ ने शिवलिंग की सुरक्षा सुनिश्चति करने के अंतरिम आदेश को आगे जारी रखने की मांग पर सुनवाई के दौरान दिये।

अंतरिम आदेश आगे जारी रखने का अनुरोध

सुनवाई के दौरान हिन्दू पक्ष की ओर से पेश वरिष्ठ वकील रंजीत कुमार और विष्णु शंकर जैन ने अंतरिम आदेश आगे जारी रखने का अनुरोध करते हुए कहा कि वह आदेश मुस्लिम पक्ष की अर्जी पर जिला जज का फैसला आने के आठ सप्ताह बाद तक जारी रहना था। जिला जज ने मुस्लिम पक्ष की अर्जी पर 12 सितंबर को फैसला दिया था और आठ सप्ताह की अवधि 12 नवंबर को पूरी हो रही है। यह भी कहा कि उस फैसले के खिलाफ मुस्लिम पक्ष ने रिवीजन याचिका भी दाखिल कर दी है।

दूसरी ओर मुस्लिम पक्ष की ओर से पेश वरिष्ठ वकील हुजैफा अहमदी ने कहा कि अंतरिम आदेश जारी रखने पर उन्हें कोई आपत्ति नहीं है। कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद अंतरिम आदेश अगले आदेश तक बढ़ा दिया। हिन्दू पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट में एक और अर्जी दाखिल की थी जिसमें ज्ञानवापी मामले से संबंधित लंबित सारे मूलवाद एक साथ किये जाने (सूट कंसालिजेशन) की मांग थी लेकिन कोर्ट ने कहा कि वे इस बारे में जिला जज की अदालत में अर्जी दें जहां मामला लंबित है।

हिन्दू पक्ष ने तीन सप्ताह में जवाब दाखिल करने की कही बात

इस पर जैन ने जिला जज के समक्ष अर्जी दाखिल करने की छूट के साथ सुप्रीम कोर्ट से अर्जी वापस ले ली। मुस्लिम पक्ष के वकील ने कहा कि हिन्दू पक्ष ने अभी तक उनकी विशेष अनुमति याचिका का जवाब दाखिल नहीं किया है जिस पर हिन्दू पक्ष ने तीन सप्ताह में जवाब दाखिल करने की बात कही। कोर्ट ने हिन्दू पक्ष से कहा कि वह तीन सप्ताह में जवाब दाखिल करे उसके बाद मुस्लिम पक्ष के पास प्रतिउत्तर दाखिल करने के लिए दो सप्ताह का समय होगा।

शुरू में मामले पर सुनवाई के दौरान हिन्दू पक्ष के वकील रंजीत कुमार ने कोर्ट से कहा कि मुस्लिम पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल विशेष अनुमति याचिका में ज्ञानवापी परिसर में सर्वे के लिए एडवोकेट कमिश्नर नियुक्त करने को चुनौती दी थी लेकिन इस बीच सर्वे हो चुका है और इन लोगों ने भी उस प्रक्रिया में भाग लिया है इसलिए इनकी विशेष अनुमति याचिका अब महत्वहीन हो गई है। जबकि मुस्लिम पक्ष ने इस दलील का विरोध करते हुए कहा कि उनकी याचिका महत्वहीन नहीं हुई है। अगर सुप्रीम कोर्ट उनकी याचिका स्वीकार करता है तो सारी चीजें खत्म हो जाएंगी। हिन्दू पक्ष ने एक अर्जी दाखिल कर मामले में कुछ अतिरक्त दस्तावेज और तथ्य भी कोर्ट के समक्ष रखे हैं।

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