सूदखोरों के धन उधार देने के कारोबार पर विचार करेगा सुप्रीम कोर्ट, फिल्म सारागढ़ी के निर्माण से जुड़ा है मामला
फिल्म निर्माता एवं निर्देशक राजकुमार संतोषी से जुड़े चेक बाउंस विवाद पर सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार को सुनवाई हुई। अब अदालत ने बिना लाइसेंस पैसा उधार देने के कारोबार पर विचार करने का निर्णय लिया है। सुप्रीम कोर्ट ने विलियम शेक्सपीयर के नाटक द मर्चेंट आफ वेनिस का भी उल्लेख किया। अदालत ने दिल्ली और केंद्र सरकार को भी पक्षकार बनाया है।
पीटीआई, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने भारत में बिना लाइसेंस के धन उधार देने के कारोबार पर विचार करने और उस पर अंकुश लगाने के लिए कानून स्थापित का निर्णय लिया है, ताकि उन बेबस कर्जदारों को बचाया जा सके जो ''शाइलाकियन रवैये'' वाले साहूकारों के कर्ज के जाल में फंस जाते हैं। विलियम शेक्सपीयर के नाटक 'द मर्चेंट ऑफ वेनिस' में शाइलाक एक साहूकार का किरदार था जो ऋण वसूली के निर्मम तरीकों के लिए कुख्यात था।
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चेक बाउंस मामले में सुनवाई
जस्टिस सीटी रविकुमार और जस्टिस संजय कुमार की पीठ ने फिल्म निर्माता एवं निर्देशक राजकुमार संतोषी से जुड़े चेक बाउंस विवाद पर सुनवाई करते हुए कहा कि उन्होंने समाज के लिए बढ़ते इस खतरे पर संज्ञान लिया है। संतोषी ने कथित तौर पर फिल्म ''सारागढ़ी'' के निर्माण के लिए प्रशांत मलिक नामक व्यक्ति से पैसे उधार लिए थे।
आत्महत्या को मजबूर होता आम आदमी
पीठ ने कहा, ''हमारे सामने ऐसे मामले आ रहे हैं, जहां इस तरह की तथाकथित दोस्ताना अग्रिम राशि करोड़ों रुपये में हैं। हम ऐसी घटनाओं से नाराज और दुखी हैं, जहां आम आदमी इस तरह के ऋण लेता है और अंत में कर्जदाताओं के शाइलाकियन रवैये के कारण सड़कों पर आ जाता है या आत्महत्या करने पर मजबूर हो जाता है।सारागढ़ी फिल्म से जुड़ा विवाद
''संतोषी ने अधिवक्ता दुर्गा दत्त के जरिये दायर याचिका में दावा किया कि जब वह ''सारागढ़ी'' बनाने की तैयारी कर रहे थे, तो उनके परिचित मलिक ने फिल्म में दो करोड़ रुपये निवेश करने की पेशकश की थी, लेकिन मलिक ने केवल 35 लाख रुपये का भुगतान किया और बाद में दुर्भावनापूर्ण इरादे से अपनी वित्तीय स्थिति का हवाला देते हुए और निवेश करने से इन्कार कर दिया। हालांकि, मलिक ने संतोषी के दावे का खंडन किया और अदालत को बताया कि उन्होंने अलग-अलग तिथियों और अलग-अलग तरीकों से संतोषी को 85 लाख रुपये का ऋण दिया था।