SC: कृष्णजन्म भूमि के पास तोड़फोड़ के खिलाफ याचिका पर सुप्रीम कोर्ट 16 अगस्त को करेगा सुनवाई
भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की पीठ ने याचिकाकर्ता को आश्वासन दिया कि वह 16 अगस्त को मामले की सुनवाई करेगी। याचिकाकर्ताओं का प्रतिनिधित्व अधिवक्ता राधा तारकर और आरोन शॉ ने किया। याचिका में याचिकाकर्ता ने रेलवे अधिकारियों मथुरा द्वारा ध्वस्तीकरण की प्रक्रिया पर रोक लगाने की मांग की है। रेलवे के वकील ने 10 अगस्त को कहा था कि उनके पास विध्वंस के लिए कोई निर्देश नहीं है।
By AgencyEdited By: Shashank MishraUpdated: Tue, 15 Aug 2023 03:09 AM (IST)
नई दिल्ली, एएनआई। सुप्रीम कोर्ट 16 अगस्त को मथुरा में कृष्णजन्म भूमि के पास रेलवे द्वारा किए जा रहे विध्वंस अभियान पर रोक लगाने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई करने के लिए सोमवार को सहमत हो गया। भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पीठ ने याचिकाकर्ता को आश्वासन दिया कि वह 16 अगस्त को मामले की सुनवाई करेगी।
9 अगस्त 2023 को शुरू हुआ था काम
वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांतो चंद्र सेन ने पीठ के समक्ष याचिका का उल्लेख किया और यह कहते हुए तत्काल सुनवाई की मांग की कि एक वकील की गोली मारकर हत्या के कारण उत्तर प्रदेश में अदालतें बंद कर दी गई हैं। वरिष्ठ वकील सेन ने कहा कि 9 अगस्त को अधिकारियों ने विध्वंस शुरू कर दिया और लोग 1800 के दशक से वहां रह रहे हैं। कोर्ट ने कहा कि वे इस मामले को 16 अगस्त को उचित पीठ के समक्ष रखेंगे।
याचिकाकर्ताओं का प्रतिनिधित्व अधिवक्ता राधा तारकर और आरोन शॉ ने किया। याचिका में याचिकाकर्ता ने रेलवे अधिकारियों, मथुरा द्वारा ध्वस्तीकरण की प्रक्रिया पर रोक लगाने की मांग की है। याचिकाकर्ता ने सिविल कोर्ट सीनियर डिवीजन, मथुरा, उत्तर प्रदेश के समक्ष एक सिविल मुकदमा दायर किया और रेलवे प्राधिकरण के खिलाफ स्थायी निषेधाज्ञा की मांग की, लेकिन इस बीच 9 अगस्त 2023 को विध्वंस का काम शुरू हो गया।
इसे अगले ही दिन 10 अगस्त को चुनौती दी गई। रेलवे के वकील ने 10 अगस्त को कहा था कि उनके पास विध्वंस के लिए कोई निर्देश नहीं है और तदनुसार सिविल कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत किया गया था कि वह निर्देश के साथ आएंगे।
याचिकाकर्ता ने कहा कि हालांकि आज एक वकील की गोली लगने की घटना के कारण बार काउंसिल द्वारा पारित एक प्रस्ताव के अनुसार इलाहाबाद में सभी अदालती कार्यवाही निलंबित कर दी गई है। याचिकाकर्ता ने कहा कि उन्होंने सिविल कोर्ट के साथ-साथ हाई कोर्ट का भी दरवाजा खटखटाया है, लेकिन सभी अदालतें बंद हैं और वे इस मुद्दे को आगे नहीं बढ़ा सके। याचिकाकर्ता ने दावा किया कि स्थिति का फायदा उठाते हुए रेलवे प्राधिकरण ने सबसे मनमाने तरीके से याचिकाकर्ताओं के घर को ध्वस्त करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है।
1880 से रह रहे हैं लोग
याचिकाकर्ता ने सिविल कोर्ट और हाई कोर्ट के समक्ष मामले को आगे बढ़ाने की पूरी कोशिश की है, लेकिन अदालतें बंद होने के कारण वे वहां मामले को आगे नहीं बढ़ा सके और इस तरह शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाने के लिए मजबूर हुए और शीर्ष अदालत से निर्देश जारी करने का आग्रह किया। जहां वे 1880 से रह रहे हैं, वहां विध्वंस पर रोक लगा दी जाए।
याचिकाकर्ता ने घर गिराने की प्रतिवादी की कार्रवाई को पूरी तरह से अवैध, मनमाना और भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 का उल्लंघन बताया।