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Supreme Court: SC 15 नवंबर को Freedom Of Expression के अधिकार की सीमा पर करेगा सुनवाई

Supreme Court अप्रैल 2017 में जब यह मामला पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ को भेजा गया था तो एमिकस क्यूरी ने शीर्ष अदालत से कहा था कि मंत्री सामूहिक जिम्मेदारी के संवैधानिक जनादेश से बंधे हैं और सरकार की नीति के विपरीत नहीं बोल सकते।

By AgencyEdited By: Shashank MishraUpdated: Wed, 28 Sep 2022 05:21 PM (IST)
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पीठ में जस्टिस बीआर गवई, एएस बोपन्ना, वी रामसुब्रमण्यम और बीवी नागरत्ना भी शामिल थे।
नई दिल्ली, एएनआइ। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को एक राज्य के मंत्री जैसे उच्च सार्वजनिक पदाधिकारियों के लिए भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार की सीमाओं से संबंधित याचिकाओं की सुनवाई 15 नवंबर को करेगा । न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर की अध्यक्षता वाली पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने कहा कि भारत के संविधान, 1950 के अनुच्छेद 19 (1) (ए) के तहत भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार पर प्रतिबंध एक मामले पर निर्धारित किया जाना है।

सरकार के विपरीत बोलने के लिए अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का दावा

पीठ में जस्टिस बीआर गवई, एएस बोपन्ना, वी रामसुब्रमण्यम और बीवी नागरत्ना भी शामिल थे। मामले में यह शामिल है कि क्या कोई मंत्री केंद्र सरकार की कानून और नीति के विपरीत बोलने के लिए ' भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार का दावा कर सकता है ।

उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मंत्री और समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता आजम खान द्वारा बुलंदशहर सामूहिक दुष्कर्म मामले को समाजवादी पार्टी की पूर्व सरकार को बदनाम करने के लिए एक राजनीतिक साजिश करार देने के बाद यह मामला दर्ज किया गया था। अप्रैल 2017 में जब यह मामला पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ को भेजा गया था, तो एमिकस क्यूरी ने शीर्ष अदालत से कहा था कि मंत्री सामूहिक जिम्मेदारी के संवैधानिक जनादेश से बंधे हैं और सरकार की नीति के विपरीत नहीं बोल सकते।

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दिसंबर 2016 में, शीर्ष अदालत ने बुलंदशहर सामूहिक दुष्कर्म मामले के संबंध में खान की बिना शर्त माफी को स्वीकार कर लिया था। बचे लोगों ने खान के खिलाफ कार्रवाई की मांग करते हुए शीर्ष अदालत के समक्ष एक याचिका दायर की थी। शीर्ष अदालत ने पूछा था कि क्या कोई पदाधिकारी संवेदनशील मुद्दों पर सरकार की नीति के विपरीत व्यक्तिगत टिप्पणी कर सकता है, जिससे कोई संकट पैदा होता हो।

घटना 29-30 जुलाई की मध्यरात्रि की है जब बुलंदशहर जिले में एक 35 वर्षीय महिला और उसकी नाबालिग बेटी के साथ कथित तौर पर लुटेरों के एक समूह ने सामूहिक दुष्कर्म किया था, जब वे नोएडा से शाहजहांपुर जा रहे थे। नोएडा और बुलंदशहर को जोड़ने वाले एनएच-9 पर दोस्तपुर गांव में एक साइकिल रिपेयरिंग की दुकान के पास उनके वाहन को रोका गया था।

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