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Supreme Court: बेनामी संपत्ति लेनदेन के कानून पर सुप्रीम कोर्ट पलटा अपना फैसला, ये है पूरा मामला

बेनामी संपत्ति लेनदेन के कानून पर सुप्रीम कोर्ट ने अपना अपना फैसला पलट दिया। फैसले पर पुनर्विचार की केंद्र की याचिका को अनुमति प्रदान करते हुए प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश एनवी रमणा की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ द्वारा सुनाया गया फैसला वापस ले लिया। तत्कालीन सीजेआइ रमणा की पीठ ने वह फैसला सुनाया था।

By Agency Edited By: Jeet Kumar Updated: Fri, 18 Oct 2024 10:31 PM (IST)
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बेनामी संपत्ति लेनदेन के कानून पर सुप्रीम कोर्ट पलटा अपना फैसला

पीटीआई, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम में अपना 23 अगस्त, 2022 का फैसला वापस ले लिया जिसमें बेनामी संपत्ति के लेनदेन पर प्रतिबंध कानून के दो प्रविधानों को असंवैधानिक घोषित कर दिया गया था जो ऐसे सौदों एवं अधिकारियों द्वारा संपत्तियों के अधिग्रहण पर रोक लगाते हैं।

फैसले पर पुनर्विचार की केंद्र की याचिका को अनुमति प्रदान करते हुए प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश एनवी रमणा की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ द्वारा सुनाया गया फैसला वापस ले लिया।

कानून के दो प्रविधानों को बताया था स्पष्ट रूप से मनमाना

2022 के फैसले में शीर्ष अदालत ने कहा था कि बेनामी संपत्ति के लेनदेन पर प्रतिबंध कानून, 1988 की धारा 3(2) और पांच स्पष्ट रूप से मनमानी होने के कारण असंवैधानिक है। एक तरफ जहां धारा-3 बेनामी (किसी और के नाम पर खरीदी गई संपत्ति) लेनदेन पर प्रतिबंध से संबंधित है, वहीं धारा-5 अधिग्रहण योग्य बेनामी संपत्ति से संबंधित है।शीर्ष अदालत शुक्रवार को केंद्र सरकार की ओर से पेश सालिसिटर जनरल तुषार मेहता की उन दलीलों से सहमत हो गई कि तत्कालीन पीठ के समक्ष इन दो प्रविधानों की वैधता को चुनौती नहीं दी गई थी।

पीठ ने कही थी ये बात

साथ ही पीठ ने कहा कि 2022 का फैसला जिस दीवानी अपील पर सुनाया गया था, वह नए सिरे से सुनवाई के लिए बहाल हो जाएगी जिसके लिए पीठ प्रधान न्यायाधीश नामित करेंगे।अगस्त, 2022 के फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि बेनामी कानून पूर्व तिथि से लागू नहीं होगा। शीर्ष अदालत इस कानूनी सवाल पर विचार कर रही थी कि बेनामी लेनदेन (प्रतिबंध) संशोधन अधिनियम, 2016 के रूप में संशोधित 1988 का कानून क्या आगे की तिथि से लागू होगा।

कलकत्ता हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती दी

2022 का फैसला केंद्र सरकार की अपील पर सुनाया गया था जिसमें कलकत्ता हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती दी गई थी। हाई कोर्ट ने कहा था कि संशोधन अधिनियम आगे की तिथि से लागू होगा। केंद्र की दलील दी कि 2016 का कानून पूर्व तिथि से लागू होगा।

उल्लेखनीय है कि बेनामी कानून ऐसे लेनदेन पर प्रतिबंध लगाने एवं बेनामी घोषित संपत्तियों को रिकवर करने का अधिकार लागू करने के लिए बनाया गया था। इसमें तीन वर्ष कैद या जुर्माने या दोनों का प्रविधान है।