'स्वच्छ भारत अभियान को सामाजिक आंदोलन के रूप में लिया जाना चाहिए', सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस संजीव खन्ना बोले
Swachh Bharat Abhiyanआज राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 154 वीं जयंती देशभर में मनाई जा रही है। बापू की जयंती स्वच्छ भारत अभियान के रूप में भी मनाया जाता है। इस अवसर पर सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस संजीव खन्ना ने सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन द्वारा आयोजित एक समारोह में भाग लिए लिया। इस समारोह में उन्होंने स्वच्छ भारत अभियान को सामाजिक आंदोलन के रूप में देखे जाने की अपील की।
By AgencyEdited By: Babli KumariUpdated: Mon, 02 Oct 2023 01:17 PM (IST)
पीटीआई, नई दिल्ली। आज महात्मा गांधी की 154 वीं जयंती है। पूरा देश बापू के जयंती पर राष्ट्रपिता को याद कर रहा है। महात्मा गांधी का जयंती 'स्वच्छ भारत अभियान' के रूप में भी मनाया जाता है। साल 2014 में महात्मा गांधी की जयंती पर शुरू किया गया स्वच्छता अभियान आज पूरे देश में मनाया जा रहा है। इस मौके पर सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस संजीव खन्ना ने शीर्ष अदालत के परिसर में महात्मा गांधी और पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की जयंती मनाने के लिए सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन द्वारा आयोजित एक समारोह में भाग लिए।
सोमवार को समारोह में बोलते हुए उन्होंने कहा कि स्वच्छ भारत अभियान और स्वच्छता अभियान को हमें स्वच्छ भारत के लिए एक 'सामाजिक आंदोलन' के रूप में लिया जाना चाहिए ताकि भारत 'स्वस्थ और खुशहाल' रहे। जस्टिस संजीव खन्ना ने कहा, "हमने गांधी जी के जन्मदिन पर 'स्वच्छ भारत अभियान' शुरू किया। यह एक सामाजिक आंदोलन है और इसे एक सामाजिक आंदोलन के रूप में लिया जाना चाहिए। जब तक इसे एक सामाजिक आंदोलन के रूप में नहीं लिया जाएगा तब तक यह अपने लक्ष्य और उद्देश्यों को प्राप्त नहीं कर पाएगा।"
स्वच्छ और आरोग्य भारत अधिक स्वस्थ और खुशहाल
न्यायमूर्ति खन्ना ने कहा कि स्वच्छ और आरोग्य भारत अधिक स्वस्थ और खुशहाल है। उन्होंने आगे कहा कि कुछ लोग अपने शब्दों और कार्यों से अमर हो जाते हैं और गांधी के दर्शन के विभिन्न पहलुओं को उन्होंने रेखांकित किया। महात्मा गांधी के दर्शन पर बोलते हुए उन्होंने अहिंसा, सत्याग्रह, सामाजिक और सांप्रदायिक सद्भाव के लिए उपवास, किसी के प्रति दुर्भावना और जीवन में सादगी जैसे बापू के सभी जीवन दर्शन को शामिल किया।
न्यायमूर्ति खन्ना ने कहा कि महात्मा गांधी दुनिया भर में पूजनीय हैं और राष्ट्रपिता के लिए सच्ची श्रद्धांजलि उनके शब्दों को आत्मसात करना और उनके विचारों को कार्य में लाना है।