Swami Vivekananda: सम्मान समारोह में एक वेश्या को देखकर हैरान रह गए थे स्वामी विवेकानंद, अद्भुत है यह कहानी
Swami Vivekanand नरेंद्रनाथ दत्त से स्वामी विवेकानंद बनने के सफर इतना आसान नहीं रहा। स्वामी विवेकानंद को कई ऐसी चुनौतियों का सामना करना पड़ा जिसे लांघ कर वो पूर्ण सन्यासी बने। एक बार स्वामी विवेकानंद की मुलाकात एक ऐसी वेश्या से हुई जिसने उनके मन से एक डर निकाल दिया।
By Piyush KumarEdited By: Piyush KumarUpdated: Thu, 12 Jan 2023 05:47 PM (IST)
नई दिल्ली, पियूष कुमार। एक ऐसा आध्यात्म गुरू जिसने भारतीय सनातन धर्म को पूरी दुनिया से परिचित करवाया। भारतीय पुनर्जागरण के पुरोधा माने जाने वाले स्वामी विवेकानंद की बातें हमेशा प्रासंगिक रहेगी। हालांकि, नरेंद्रनाथ दत्त से स्वामी विवेकानंद (Swami Vivekananda) बनने के सफर इतना आसान नहीं रहा। स्वामी विवेकानंद को कई ऐसी चुनौतियों का सामना करना पड़ा, जिसे लांघ कर वो पूर्ण सन्यासी बने। गौरतलब है कि जिस इंसान ने पूरी दुनिया को जीवन जीने की एक नई राह दिखाई, उनकी सोच एक बार एक वेश्या ने बदल दी।
कहानी ये है कि एक बार जयपुर के राजा ने स्वामी विवेकानंद को अपने महल में बुलाकर उन्हें आदर सम्मान करने की इच्छा जताई। राजा के आग्रह पर विवेकानंद उनके महल पर पहुंच गए। उनके आने पर एक भव्य आयोजन किया गया। राजा ने इस कार्यक्रम में कई नर्तकियों को भी बुलाया। उनमें एक वेश्या भी थी। हालांकि, राजा को इस बात का अहसास हुआ कि सन्यासी की मेजबानी करते वक्त किसी वेश्या को बुलाना नहीं चाहिए। लेकिन, अब बहुत देर हो चुकी थी।
वहीं, जब यह बात विवेकानंद को पता चला कि उनके स्वागत में एक वेश्या भी आइ है। तो वो काफी परेशान हो गए। परेशानी की वजह थी कि विवेकानंद अभी तक पूर्ण सन्यासी नहीं बने थे, इसलिए उन्हें इस बात की चिंता थी कि वो जिस यौन इच्छाओं को दबाए बैठे हैं, वो इच्छा वेश्या को देखकर जाग न उठे। वेश्या से दूरी बनाने के लिए विवेकानंद ने खुद को एक कमरे में बंद कर लिया।
राजा को जब इस बात की भनक पड़ी तो वो समझ गए कि आखिर क्यों उन्होंने खुद को कमरे में कैद कर लिया है। राजा सीधे विवेकानंद से माफी मांगने उनके कमरे में दाखिल हुए। दाखिल होने के तुरंत बाद राजा ने माफी मांगते हुए कहा कि उसने कभी भी किसी सन्यासी की मेजबानी नहीं की थी, इसलिए उससे यह भूल हो गई। राजा ने कहा कि जो वेश्या उनके स्वागत के लिए आई है, वो देश की सबसे बड़ी वेश्या है। इसलिए उसे यूं वापस भेजना अच्छी बात नहीं है। यह बात सुनने के बाद भी विवेकानंद का आक्रोश कम नहीं हुआ और उन्होंने कहा कि वो कभी भी एक वेश्या के आगे नहीं आएंगे।