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स्वामी विवेकानंद की ओजस्वी वाणी करती थी युवाओं को प्रेरणा देने का काम, आज भी मंत्र याद करते हैं युवा

अंग्रेजों का जुल्‍म निरंतर बढ़ता जा रहा था। ऐसे में देश के युवाओं को जगाने का काम उनके एक वाक्‍य ने किया।

By Vinay TiwariEdited By: Published: Sat, 11 Jan 2020 09:00 PM (IST)Updated: Sun, 12 Jan 2020 12:38 PM (IST)
स्वामी विवेकानंद की ओजस्वी वाणी करती थी युवाओं को प्रेरणा देने का काम, आज भी मंत्र याद करते हैं युवा

नई दिल्‍ली [जागरण स्‍पेशल]। स्वामी विवेकानंद एक ऐसे महापुरुष थे जिनकी ओजस्वी वाणी युवाओं के लिए प्रेरणास्त्रोत का काम करती थी। उन्होंने युवाओं को प्रोत्साहित करने के लिए जो चीजें कहीं वो आज भी काफी प्रासंगिक है। 'उठो, जागो और तब तक मत रुको जब तक मंजिल प्राप्त न हो जाए' ये मंत्र स्वामी विवेकानंद ने ही भरतीय युवाओं को दिया था। यह मंत्र आज भी भारतीय युवाओं को झकझोरता है। ब्रिटिश हुकूमत के वक्‍त युवाओं को आजादी के लिए दिया गया यह मंत्र आज भारतीय युवाओं के लिए एक मुश्किल घड़ी में मार्गदर्शन और प्रेरणा का काम करता है।

राष्‍ट्रीय युवा दिवस (National Youth Day) के रूप में मनाया जाता जन्मदिन

157 साल पहले 12 जनवरी 1863 को आज के ही दिन समाज सुधारक स्वामी विवेकानंद' का जन्म कलकत्ता (वर्तमान में कोलकाता) में हुआ था। इस तरह आजादी के बाद भारत में 12 जनवरी को राष्‍ट्रीय युवा दिवस (National Youth Day) के रूप में मनाया जाता है। स्‍वामी के इस ओजस्‍वी वाणी से भारत का युवा जागृत हो उठा था। उस वक्‍त भारत पराधीन था। अंग्रेजों का जुल्‍म निरंतर बढ़ता जा रहा था। ऐसे में देश के युवाओं को जगाने का काम उनके एक वाक्‍य ने किया। विवेकानंद भारतीय युवा शक्ति को पहचनाते थे। उनकी यह स्‍पष्‍ट धारणा थी कि देश के युवा ही उसका भविष्‍य होते हैं। आज 21वीं सदी के भारत में जहां भ्रष्‍टाचार और अपराध का साम्राज्‍य है। यहां व्‍याप्‍त भ्रष्‍टाचार देश को घुन की तरह खोखला कर रहा है। ऐसे में युवा शक्ति को जगाना और उनको देश के कर्तव्‍यों के प्रति सचेत करने का काम आज भी यह महामंत्र करता है।

स्वामी विवेकानंद की 157वीं जयंती

स्वामी विवेकानंद की 157वीं जयंती हैं। विवेकानंद का निधन महज़ 39 साल की उम्र में हो गया था। युवाओं को संबोधित करते हुए उनके कुछ खास संदेश आज भी समसामयिक और उपयोगी हैं। 

पेश है विवेकानंद के संदेशों के दस महामंत्र :- 

उठो जागो और तब तक मत रुको जब तक तुम्हें तुम्हारे लक्ष्य की प्राप्ति न हो जाए। 

ब्रह्मांड में समस्‍त शक्ति हमारे अंदर ही मौजूद है। वह हम खुद हैं, जिन्‍होंने अपने-अपने हाथों से अपनी आंखों को बंद कर लिया है। इसके बावजूद हम चिल्‍लाते हैं कि यहां अंधेरा है। 

हमारा कर्तव्‍य है कि हर संघर्ष करने वाले को प्रोत्‍साहित करना है ताकि वह सपने को सच कर सके और उसे जी सके। 

हम वो हैं जो हमारे विचारों ने हमें बनाया है। इसलिए आप जो भी सोचते हैं उसका ख्‍याल रखिए। शब्‍द बाद में आते हैं। वे जिंदा रहते हैं और दूर तक जाते हैं। 

कोई एक जीवन का ध्‍येय बना लो और उस विचार को अपनी जिंदगी में समाहित कर लो। उस विचार को बार-बार सोचो। उसके सपने देखो। उसको जियो। दिमाग, मांसपेशियाें, नसें और शरीर का हर भाग में उस विचार को भर लो और बाकी विचारों को त्‍याग दो। यही सफल होने का राज है। सफलता का रास्‍ता भी यही है।

जब तक तुम खुद पर भरोसा नहीं कर सकते तब तक खुदा या भगवान पर भरोसा नहीं कर सकते।  

यदि हम भगवान को इंसान और खुद में नहीं देख पाने में सक्षम हैं तो हम उसे ढ़ूढ़ने कहां जा सकते हैं। 

जितना हम दूसरों की मदद के लिए सामने आते हैं और मदद करते हैं उतना ही हमारा दिल निर्मल होता है। ऐसे ही लोगों में ईश्‍वर होता है। 

यह कभी मत सोचिए कि किसी भी आत्‍मा के लिए कुछ भी असंभव है। ऐसा सोचना सबसे बड़ा अधर्म है। खुद को या दूसरों को कमजोर समझना ही दुनिया में एकमात्र पाप है। 

यह दुनिया एक बहुत बड़ी व्‍यायामशाला है, जहां हम खुद को मजबूत बनाने के लिए आते हैं। 


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