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Swami Vivekananda Death Anniversary: जानें, विवेकानंद के क्‍या हैं दस महामंत्र, आज भी युवाओं के लिए हैं प्रेरणा स्रोत

उठो जागो और तब तक मत रुको जब तक मंजिल प्राप्त न हो जाएं क्‍या आप जानते हैं इस मंत्र को भारतीय युवाओं को किसने दिया था। यह मंत्र आज भी भारतीय युवाओं को झकझोरता है।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Updated: Thu, 04 Jul 2019 12:18 PM (IST)
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Swami Vivekananda Death Anniversary: जानें, विवेकानंद के क्‍या हैं दस महामंत्र, आज भी युवाओं के लिए हैं प्रेरणा स्रोत
नई दिल्‍ली [ जागरण स्‍पेशल ]। स्वामी विवेकानंद से कौन परिचित नहीं है। बहुत कम उम्र में ही उन्होंने अपने ज्ञान का लोहा पूरी दुनिया में मनवा लिया था। अमेरिका के शिकागो में सन् 1893 में आयोजित विश्व धर्म संसद में दुनिया के सभी धर्मों के प्रतिनिधियों के बीच सनातन धर्म का प्रतिनिधित्व करते हुए स्वामी विवेकानंद ने जो यादगार भाषण दिया था, उसने दुनियाभर में भारत की अतुल्य विरासत और ज्ञान का डंका बजा दिया था। आज भी अधिकांश लोग यह तो जानते हैं कि उन्होंने अपना भाषण 'बहनों और भाइयों?" के संबोधन से शुरू कर सबको भारत की 'वसुधैव कुटुम्बकम की भावना से अवगत करवाया था, लेकिन उन्होंने शेष भाषण में क्या कहा था, इसकी जानकारी कम ही लोगों को है। 4 जुलाई 1902 को भी उन्होंने अपनी ध्यान करने की दिनचर्या को नहीं बदला और प्रात: दो तीन घण्टे ध्यान किया और ध्यानावस्था में ही अपने ब्रह्मरन्ध्र को भेदकर महासमाधि ले ली। बेलूर में गंगा तट पर चन्दन की चिता पर उनकी अंत्येष्टि की गयी। इसी गंगा तट के दूसरी ओर उनके गुरु रामकृष्ण परमहंस का सोलह वर्ष पूर्व अन्तिम संस्कार हुआ था।

'उठो, जागो और तब तक मत रुको जब तक मंजिल प्राप्त न हो जाएं' क्‍या आप जानते हैं, इस मंत्र को भारतीय युवाओं को किसने दिया था। यह मंत्र आज भी भारतीय युवाओं को झकझोरता है। युवाओं को यह महामंत्र स्‍वामी विवेकानंद ने दिया था। यह आज भी युवाओं को एक नई शक्ति देता है। उन्‍हें प्रेरित करता है। ब्रिटिश हुकूमत के वक्‍त युवाओं को आजादी के लिए दिया गया यह मंत्र आज भारतीय युवाओं के लिए एक मुश्किल घड़ी में मार्गदर्शन और प्रेरणा का काम करता है।

पराधीन भारत में जगाई अलख
विवेकानंद भारतीय युवा शक्ति को पहचनाते थे। उनकी यह स्‍पष्‍ट धारणा थी कि देश के युवा ही उसका भविष्‍य होते हैं। आज 21वीं सदी के भारत में जहां भ्रष्‍टाचार और अपराध का साम्राज्‍य है। यहां व्‍याप्‍त भ्रष्‍टाचार देश को घुन की तरह खोखला कर रहा है। ऐसे में युवा शक्ति को जगाना और उनको देश के कर्तव्‍यों के प्रति सचेत करने का काम आज भी यह महामंत्र करता है। 

स्वामी विवेकानंद की पुण्यतिथि
विवेकानंद का निधन महज़ 39 साल की उम्र में हो गया था। युवाओं को संबोधित करते हुए उनके कुछ खास संदेश आज भी समसामयिक और उपयोगी हैं। पेश है विवेकानंद के संदेशों के कुछ प्रमुख अंश।

ये हैं दस महामंत्र

  • उठो जागो और तब तक मत रुको जब तक तुम्हें तुम्हारे लक्ष्य की प्राप्ति न हो जाए।
  • ब्रह्मांड में समस्‍त शक्ति हमारे अंदर ही मौजूद है। वह हम खुद हैं, जिन्‍होंने अपने-अपने हाथों से अपनी आंखों को बंद कर लिया है। इसके बावजूद हम चिल्‍लाते हैं कि यहां अंधेरा है।
  • हमारा कर्तव्‍य है कि हर संघर्ष करने वाले को प्रोत्‍साहित करना है ताकि वह सपने को सच कर सके और उसे जी सके।
  • हम वो हैं जो हमारे विचारों ने हमें बनाया है। इसलिए आप जो भी सोचते हैं उसका ख्‍याल रखिए। शब्‍द बाद में आते हैं। वे जिंदा रहते हैं और दूर तक जाते हैं।

  • कोई एक जीवन का ध्‍येय बना लो और उस विचार को अपनी जिंदगी में समाहित कर लो। उस विचार को बार-बार सोचो। उसके सपने देखो। उसको जियो। दिमाग, मांसपेशियाें, नसें और शरीर का हर भाग में उस विचार को भर लो और बाकी विचारों को त्‍याग दो। यही सफल होने का राज है। सफलता का रास्‍ता भी यही है।  
  • जब तक तुम खुद पर भरोसा नहीं कर सकते तब तक खुदा या भगवान पर भरोसा नहीं कर सकते।  
  • यदि हम भगवान को इंसान और खुद में नहीं देख पाने में सक्षम हैं तो हम उसे ढ़ूढ़ने कहां जा सकते हैं।
  • जितना हम दूसरों की मदद के लिए सामने आते हैं और मदद करते हैं उतना ही हमारा दिल निर्मल होता है। ऐसे ही लोगों में ईश्‍वर होता है।
  • यह कभी मत सा‍ेचिए कि किसी भी आत्‍मा के लिए कुछ भी असंभव है। ऐसा सोचना सबसे बड़ा अधर्म है। खुद को या दूसरों को कमजोर समझना ही दुनिया में एकमात्र पाप है।
  • यह दुनिया एक बहुत बड़ी व्‍यायामशाला है, जहां हम खुद को मजबूत बनाने के लिए आते हैं।