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स्वीडिश अंतरिक्ष यात्री ने Chandrayaan 3 की सफलता को बताया अद्भुत, कहा- 'ऐसे अगले भारतीय मिशन का इंतजार'

23 अगस्त को चंद्रयान-3 लैंडर मॉड्यूल चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सफलतापूर्वक उतरते ही भारत ने अंतरिक्ष में एक बड़ी छलांग लगाई भारत यह ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल करने वाला पहला देश बन गया। विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर ने लैंड होने के लगभग 14 दिनों तक चंद्र सतह पर अलग-अलग कार्य किए। स्वीडिश अंतरिक्ष यात्री क्रिस्टर फुगलेसांग ने सफल मिशन के लिए भारत की तारीफ की।

By AgencyEdited By: Mohammad SameerUpdated: Sat, 09 Dec 2023 07:07 AM (IST)
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स्वीडिश अंतरिक्ष यात्री ने Chandrayaan 3 की सफलता को बताया अद्भुत
एएनआई, नई दिल्ली। स्वीडिश अंतरिक्ष यात्री क्रिस्टर फुगलेसांग ने चंद्रयान -3 की सफलता को अद्भुत और उत्कृष्ट कहा है। उन्होंने कहा कि वह ऐसे ही अगले भारतीय मिशन का इंतजार कर रहे हैं... 

समाचार एजेंसी एएनआई के साथ एक साक्षात्कार में, फुगलेसांग ने कहा कि वह भारतीय रॉकेट और भारतीय कैप्सूल पर भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों के साथ गगनयान उड़ान देखने की उम्मीद कर रहे हैं। चंद्रयान-3 की सफलता के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि-

विक्रम लैंडर और रोवर की जिस तरह की लैंडिंग हुई यह बहुत अद्भुत था। यह वास्तव में उत्कृष्ट था और मुझे लगता है कि पूरी दुनिया इसके लिए सराहना कर रही थी और मैं मैं बहुत उत्साहित हूं, ऐसे अगले भारतीय मिशन का इंतजार कर रहा हूं। एक अंतरिक्ष यात्री होने के नाते, अब मैं मुख्य रूप से भारतीय रॉकेट और भारतीय कैप्सूल पर भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों के साथ गगनयान उड़ान देखने की उम्मीद कर रहा हूं।

क्रिस्टर फुगलेसांग ने कहा कि, स्वीडन और भारत के लिए अंतरिक्ष क्षेत्र में एक साथ काम करने की काफी संभावनाएं हैं। The Swedish Space Corporation अंतरिक्ष के सतत उपयोग के लिए सेवाएं विकसित कर रहा है, जो दोनों देशों के लिए पारस्परिक हित का क्षेत्र है। उन्होंने 'अंतरिक्ष स्थिरता' और जलवायु चुनौतियों से निपटने में अंतरिक्ष अन्वेषण की महत्वपूर्ण भूमिका के बारे में भी बात की।

जब भारत ने हासिल की ऐतिहासिक उपलब्धि

23 अगस्त को चंद्रयान-3 लैंडर मॉड्यूल चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सफलतापूर्वक उतरते ही भारत ने अंतरिक्ष में एक बड़ी छलांग लगाई, भारत यह ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल करने वाला पहला देश बन गया। विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर ने लैंड होने के लगभग 14 दिनों तक चंद्र सतह पर अलग-अलग कार्य किए।

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