तब्लीगी जमात का आतंकी संगठनों से जुड़ाव का पुराना इतिहास, जानें जमात की पूरी कहानी
इस्लामी मिशनरियों के वैश्विक संगठन तब्लीगी जमात का पाकिस्तान स्थित प्रतिबंधित आतंकी संगठन हरकत उल मुजाहिदीन (एचयूएम) से जुड़ाव का लंबा इतिहास रहा है।
By Arun Kumar SinghEdited By: Updated: Wed, 01 Apr 2020 07:33 AM (IST)
नई दिल्ली, आइएएनएस। इस्लामी मिशनरियों के वैश्विक संगठन तब्लीगी जमात का पाकिस्तान स्थित प्रतिबंधित आतंकी संगठन हरकत उल मुजाहिदीन (एचयूएम) से जुड़ाव का लंबा इतिहास रहा है। भारतीय जांचकर्ताओं और पाकिस्तानी विश्लेषकों के मुताबिक हरकत उल मुजाहिदीन के मूल संस्थापक तब्लीगी जमात के सदस्य थे।
जमात के सदस्यों ने ही की थी आतंकी संगठन हरकत उल मुजाहिदीन की स्थापनाहरकत उल जिहाद अल इस्लामी (हूजी) से टूटकर 1985 में बने हरकत उल मुजाहिदीन ने अफगानिस्तान से तत्कालीन सोवियत संघ गठबंधन की सत्ता को उखाड़ फेंकने के लिए पाकिस्तान समर्थक जिहाद में भी हिस्सा लिया था। खुफिया अनुमानों के मुताबिक, छह हजार से ज्यादा तब्लीगियों को पाकिस्तान स्थित आतंकी शिविरों में प्रशिक्षित किया गया था। अफगानिस्तान में सोवियत संघ की हार के बाद हरकत उल मुजाहिदीन और हूजी कश्मीर में सक्रिय हो गए थे और उन्होंने सैकड़ों बेगुनाह नागरिकों की हत्या की। हरकत उल मुजाहिदीन के सदस्य बाद में मसूद अजहर के नेतृत्व में बने आतंकी संगठन जैश ए मुहम्मद में शामिल हो गए। गोधरा में कारसेवकों को जिंदा जलाने में तब्लीगी जमात पर संदेह जताया गया था।
स्लीपर सेल तैयार करने के लिए विदेशी प्रचारकों का किया जाता था इस्तेमाल भारतीय खुफिया अधिकारी और सुरक्षा विशेषज्ञ बी. रमन ने अपने एक लेख में लिखा था कि तब्लीगी जमात की पाकिस्तान और बांग्लादेश स्थित शाखाओं के हरकत उल मुजाहिदीन, हरकत उल जिहाद अल इस्लामी, लश्कर ए तैयबा और जैश ए मुहम्मद जैसे आतंकी संगठनों के साथ जुड़ाव को लेकर समय-समय ध्यान जाता रहा था। रमन ने इस बात का खास तौर पर उल्लेख किया था कि हरकत उल मुजाहिदीन जैसे आतंकी संगठनों के सदस्य खुद को तब्लीगी जमात का प्रचारक दर्शाकर वीजा हासिल करते थे और विदेश जाकर पाकिस्तान में आतंकी प्रशिक्षण के लिए मुस्लिम युवाओं की भर्ती करते थे। जमात ने चेचेन्या, रूस के दागिस्तान क्षेत्र, सोमालिया और कुछ अफ्रीकी देशों में बड़ी संख्या में समर्थक तैयार कर लिए थे। इन सभी देशों की खुफिया एजेंसियों को संदेह था कि पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन अलग-अलग देशों के मुस्लिम समुदायों में स्लीपर सेल तैयार करने के लिए इन प्रचारकों का इस्तेमाल कर रहे थे।
अमेरिकी जांच के दायरे में आई थी तब्लीगी जमातनई दिल्ली। तब्लीगी जमात कभी अमेरिकी जांच के दायरे में भी आई थी। अमेरिका में आतंकी हमले के बाद संघीय जांचकर्ताओं ने तब्लीगी जमात में रुचि दिखाई थी। इस पर अलकायदा में भर्ती के लिए जमीन तैयार करने का संदेह था।न्यूयॉर्क टाइम्स में 14 जुलाई, 2003 को प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, एफबीआइ की अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद टीम के उपप्रमुख माइकल जे. हेइम्बच का कहा, 'हमने अमेरिका में तब्लीगी जमात की उल्लेखनीय मौजूदगी पाई है और हमने यह भी पाया है कि अलकायदा भर्ती के लिए इनका इस्तेमाल करता है।' हालांकि न तो तब्लीगी जमात और न ही इसका कोई सदस्य किसी अपराध या आतंकवाद का समर्थन करने के मामले में आरोपित किया गया है। इसके बावजूद अमेरिकी अधिकारी ने इस संगठन को लेकर सचेत रहने को कहा।
जबकि जमात ने अमेरिकी सरकार के उस तर्क को पूरी तरह अनुचित करार दिया कि यह संगठन आतंकियों की भर्ती के लिए जमीन तैयार करता है। तब्लीगी जमात के नार्थ अमेरिकन लीडरशिप काउंसिल के नेता अब्दुल रहमान खान ने कहा, 'यह बहुत गंभीर आरोप है जो पूरी तरह झूठ है।' वहीं, विकिलीक्स दस्तावेजों के मुताबिक अमेरिका द्वारा हिरासत में लिए गए 9/11 हमले के कुछ अलकायदा संदिग्ध कई साल पहले निजामुद्दीन स्थित तब्लीगी जमात परिसर में रुके थे।