कावेरी नदी विवाद को लेकर तमिलनाडु के सांसद करेंगे गजेंद्र सिंह शेखावत से मुलाकात, नई दिल्ली में होगी बैठक
तमिलनाडु के जल संसाधन मंत्री एस. दुरईमुरुगन के नेतृत्व में सांसदों का एक सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल नई दिल्ली में केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ( Union Jal Shakti Minister) से मुलाकात करेगा। ये मुलाकात कावेरी मुद्दे को लेकर होगी। हालांकि बैठक की तारीख अब तक तय नहीं हो पाई है। तमिलनाडु जल कार्य विभाग के सूत्रों ने समाचार एजेंसी आईएएनएस को बताया कि यह बैठक जल्द ही आयोजित होगी।
By AgencyEdited By: Nidhi AvinashUpdated: Sun, 17 Sep 2023 10:48 AM (IST)
चेन्नई, एजेंसी। तमिलनाडु के जल संसाधन मंत्री एस. दुरईमुरुगन के नेतृत्व में सांसदों का एक सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल नई दिल्ली पहुंचेगा। यहां सभी केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत से मुलाकात करेंगे। बता दें कि ये बैठक कावेरी नदी मुद्दे को लेकर होगी। हालांकि, बैठक की तारीख अभी तय नहीं हुई है। तमिलनाडु जल कार्य विभाग के सूत्रों ने समाचार एजेंसी आईएएनएस को बताया कि यह बैठक जल्द ही आयोजित की जाएगी।
बता दें कि कर्नाटक ने घोषणा की है कि वह अब तमिलनाडु को कावेरी का और पानी नहीं छोड़ेगा। इस घोषणा के बाद ही तमिलनाडु ने इस बैठक को बुलाने का एलान किया है।
इस बैठक में क्या होंगे अहम मुद्दे?
प्रतिनिधिमंडल इस बैठक के जरिए केंद्रीय मंत्री को कावेरी जल की आवश्यकता से अवगत कराएगी और उन्हें तमिलनाडु के डेल्टा जिलों में कुरुवई फसलों को बचाने के लिए जारी पानी की जानकारी भी देगी।बता दें कि कावेरी जल को लेकर कर्नाटक और तमिलनाडु के बीच विवाद पर सुप्रीम कोर्ट 21 सितंबर को सुनवाई करेगा।यह भी पढ़े: PM Modi Birthday Latest Live Updates: राहुल गांधी से लेकर अरविंद केजरीवाल तक, विपक्षी नेताओं ने भी पीएम मोदी को दी जन्मदिन की बधाई
तमिलनाडु और कर्नाटक आमने-सामने
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने एक बयान में कहा है कि कर्नाटक ने बेबुनियाद आरोप लगाया है कि तमिलनाडु की अधिक कावेरी जल की मांग अनुचित है। मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि कर्नाटक ने यह भी आरोप लगाया है कि तमिलनाडु ने अपने अयाकट क्षेत्रों को बढ़ाया है जो एक निराधार आरोप है।स्टालिन ने कहा कि कावेरी जल विवाद न्यायाधिकरण के अंतिम फैसले और सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुसार, कावेरी बेसिन में तटवर्ती राज्यों को संकट वर्ष में आनुपातिक आधार पर उपलब्ध पानी को साझा करना चाहिए।उन्होंने कहा कि इस फैसले के अनुसार, कर्नाटक को 14 सितंबर तक 103.5 टीएमसीएफटी जारी करना चाहिए था लेकिन राज्य ने केवल 38.4 टीएमसीएफटी जारी किया। इससे 65.1 टीएमसीएफटी की कमी हो गई है।