तमिलनाडु सरकार ने नए क्रिमिनल लॉ में संशोधन के सुझाव देने के लिए किया समिति का गठन, पी चिदंबरम ने फैसले का किया स्वागत
1 जुलाई से लागू हुए नए क्रिमिनल लॉ को लेकर शुरू से ही हंगामा मचा हुआ था। विपक्ष लगातार इन नए कानूनों को लेकर अपना विरोध जता रहा था। वहीं अब तमिलनाडु सरकार ने तीन नए आपराधिक कानूनों में राज्य-विशिष्ट संशोधनों का सुझाव देने के लिए एक समिति नियुक्त की है। राज्य सरकार के इस फैसले का कांग्रेस नेता पी चिदंबरम ने स्वागत किया है।
पीटीआई, नई दिल्ली। कांग्रेस नेता पी चिदंबरम ने मंगलवार को तीन नए आपराधिक कानूनों में राज्य-विशिष्ट संशोधनों का सुझाव देने के लिए एक समिति नियुक्त करने के तमिलनाडु सरकार के फैसले का स्वागत किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि आपराधिक कानून एक समवर्ती सूची का विषय है जो राज्य विधायिका को संशोधन करने के लिए सक्षम बनाता है।
उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि आपराधिक न्यायशास्त्र के आधुनिक सिद्धांतों के अनुरूप आपराधिक कानून बनाए जाने चाहिए।
तमिलनाडु सरकार के फैसले का करता हूं स्वागत- चिदंबरम
पूर्व गृह मंत्री ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, मैं 1 जुलाई 2024 को लागू होने वाले तीन आपराधिक कानूनों में राज्य संशोधन का सुझाव देने के लिए एक समिति नियुक्त करने के तमिलनाडु सरकार के फैसले का स्वागत करता हूं।I welcome the decision of the Government of Tamil Nadu to appoint a Committee to suggest State amendments to the three criminal laws that came into force on 1 July 2024
— P. Chidambaram (@PChidambaram_IN) July 9, 2024
Criminal Law is a subject in the Concurrent List of the Constitution and the State Legislature is competent to…
चिदंबरम ने कहा कि आपराधिक कानून संविधान की समवर्ती सूची का विषय है और राज्य विधानमंडल इसमें संशोधन करने के लिए सक्षम है।
समिति करे सभी हितधारकों से साथ चर्चा- चिंदबरम
उन्होंने कहा, मैं न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) श्री के. सत्यनारायणन की एक-व्यक्ति समिति के रूप में नियुक्ति का भी स्वागत करता हूं। मैं समिति से अनुरोध करता हूं कि वह न्यायाधीशों, वकीलों, पुलिस, विधि शिक्षकों, विद्वानों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं सहित सभी हितधारकों के साथ परामर्श करे।नए आपराधिक कानूनों में तमिलनाडु-विशिष्ट संशोधनों को प्रभावी करने की दिशा में पहला कदम उठाते हुए, मुख्यमंत्री एम के स्टालिन ने सोमवार को सेवानिवृत्त उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के नेतृत्व में एक सदस्यीय समिति गठित करने का आदेश दिया, जो तीनों कानूनों का अध्ययन करेगी और संशोधन करने के संबंध में राज्य सरकार को सिफारिशें करेगी।