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23 वर्षीय आदिवासी महिला तमिलनाडु में बनीं सिविल जज, परीक्षा के 2 दिन पहले हुई थी डिलीवरी, घर से 250 किमी दूर जाकर दिया एग्जाम

तमिलनाडु के आदिवासी समुदाय से आने वाली महिला वी श्रीपति का सिविल जज पद पर चयन हुआ है। वह अपने राज्य की पहली महिला आदिवासी हैं। जिनका सिविल जज के लिए चयन हुआ है। तमिलनाडु के तिरुवन्नामलाई जिले में जवाधु पहाड़ियों के पास पुलियूर गांव की रहने वाली श्रीपति नवंबर 2023 में अपनी परीक्षा देने के लिए 200 किमी से अधिक की यात्रा करके चेन्नई पहुंचीं।

By Jagran News Edited By: Siddharth ChaurasiyaUpdated: Thu, 15 Feb 2024 09:58 AM (IST)
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तमिलनाडु के आदिवासी समुदाय से आने वाली महिला वी श्रीपति का सिविल जज पद पर चयन हुआ है।
जागरण न्यूज नेटवर्क, नई दिल्ली। तमिलनाडु के आदिवासी समुदाय से आने वाली महिला वी श्रीपति का सिविल जज पद पर चयन हुआ है। वह अपने राज्य की पहली महिला आदिवासी हैं। जिनका सिविल जज के लिए चयन हुआ है। तमिलनाडु के तिरुवन्नामलाई जिले में जवाधु पहाड़ियों के पास पुलियूर गांव की रहने वाली श्रीपति नवंबर 2023 में अपनी परीक्षा देने के लिए 200 किमी से अधिक की यात्रा करके चेन्नई पहुंचीं।

परीक्षा के 2 दिन पहले हुई थी डिलीवरी

जिस दिन श्रीपति का एग्जाम होना था। उसी दिन उनके बच्चे की डिलीवरी की तारीख थी। लेकिन उन्होंने परीक्षा के दो दिन पहले बच्चे को जन्म दिया। बच्चे के जन्म के बावजूद श्रीपति अपने पति, रिश्तेदारों और दोस्तों की मदद से प्रसव के दो दिन बाद कार से 250 किमी दूर चेन्नई गई और सिविल जज की परीक्षा दी। तिरुवन्नामलाई जिले के जवाधु हिल्स की आदिवासी महिला वी श्रीपति की शिक्षा येलागिरी हिल में हुई है। वी श्रीपति मलयाली जनजाति से ताल्लुक रखती हैं। वी श्रीपति कलियाप्पन और मल्लिगा की सबसे बड़ी बेटी हैं।

आदिवासी महिला जज श्रीपति की कहानी

श्रीपति ने बीए और बैचलर ऑफ लॉ करने से पहले येलागिरी हिल्स में अपनी शिक्षा प्राप्त की। फिर कम उम्र में ही उनकी शादी कर दी गई। कुछ दिन पहले बच्चे को जन्म देने के बावजूद वह नवंबर 2023 में अपनी परीक्षा देने के लिए लगभग 200 किलोमीटर की यात्रा करके चेन्नई पहुंचीं।

परीक्षा में सफल होने के बाद उन्हें इंटरव्यू के लिए बुलाया गया था, जिसे पास करने में वह सफल रही। श्रीपति के बारे में बताया जा रहा है कि उन्होंने अपने पति और मां के सहयोग से एलएलबी की पढ़ाई पूरी की और तमिलनाडु लोक सेवा आयोग परीक्षा के लिए आवेदन किया। नवंबर 2023 में वह गर्भवती थी और परीक्षा की तारीख से ठीक दो दिन पहले उसने एक बच्चे को जन्म दिया।

हालांकि, श्रीपति ने अपनी जान जोखिम में डालकर परीक्षा में शामिल होने के लिए चेन्नई जाने का फैसला किया। उन्होंने सफलतापूर्वक परीक्षा उत्तीर्ण की और अपने समुदाय से पहली आदिवासी महिला सिविल जज बनीं। उनके गांव ने भी उनकी इस सफलता के लिए स्वागत समारोह आयोजित किया। उनकी इस उपलब्धि ने मुख्यमंत्री एमके स्टालिन समेत कई लोगों का ध्यान अपनी ओर खींचा है।

सीएम एमके स्टालिन ने दी बधाई

मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने श्रीपति की उपलब्धि की सराहना करते हुए ट्विटर पर लिखा, "तिरुवन्नमलाई जिले के जवाधु हिल के बगल के पुलियूर गांव की श्रीपति ने 23 साल की उम्र में सिविल जज परीक्षा पास की है। मुझे यह देखकर खुशी हुई कि एक वंचित पहाड़ी गांव की एक आदिवासी लड़की ने इतनी कम उम्र में यह उपलब्धि हासिल की है।"

स्टालिन ने आगे लिखा कि, "उन्हें यह जानकर गर्व है कि श्रीपति को सरकारी आदेश के माध्यम से न्यायाधीश के रूप में चुना गया है जिसे हमारी सरकार ने तमिल में शिक्षित लोगों के लिए सरकारी नौकरियों में प्राथमिकता के रूप में लाया है। सीएम स्टालिन ने उनकी सफलता में सहयोग देने के लिए उनकी मां और पति को धन्यवाद दिया। राज्य के खेल मंत्री उदयनिधि स्टालिन ने भी उन्हें बधाई दी।"