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'मुझे भारत में रहना है, सरकार की शुक्रगुजार रहूंगी' Taslima Nasreen ने मांगी अमित शाह से मदद; पढ़ें क्या है मामला

Taslima Nasreen बांग्लादेश की लेखिका तसलीमा नसरीन ने भारत में रहने की इच्छा जाहिर करते हुए अमित शाह से मदद मांगी है। उन्होंने बताया कि उनका भारतीय रेजिडेंस परमिट जुलाई में एक्सपायर हो गया है और गृह-मंत्रालय उसे रिन्यू नहीं कर रहा है। सांप्रदायिकता के मुखरता से अपनी बात रखने वाली तसलीमा साल 1994 से भारत में रह रहीं हैं।

By Jagran News Edited By: Piyush Kumar Updated: Tue, 22 Oct 2024 11:55 AM (IST)
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Taslima Nasreen: बांग्लादेशी लेखिका ने गृह मंत्री अमित शाह से मदद मांगी है।(फोटो सोर्स: जागरण)

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। बांग्लादेश की लेखिका तसलीमा नसरीन (Taslima Nasreen) ने गृह मंत्री अमित शाह से मदद मांगी है। उन्होंने अमित शाह से अपने  X हैंडल के जरिए मदद करने की अपील की है। उन्होंने X पर लिखा कि उनका भारतीय रेजिडेंस परमिट जुलाई में एक्सपायर हो गया है और गृह-मंत्रालय उसे रिन्यू नहीं कर रहा है।

'गृह मंत्रालय ने मेरा निवास परमिट आगे नहीं बढ़ाया'

उन्होंने पोस्ट में लिखा,"प्रिय अमित शाह जी नमस्कार। मैं भारत में रहती हूं क्योंकि मुझे इस महान देश से प्यार है। पिछले 20 सालों से यह मेरा दूसरा घर रहा है, लेकिन गृह मंत्रालय ने जुलाई 22 से मेरे निवास परमिट को आगे नहीं बढ़ाया है। मैं बहुत चिंतित हूं। अगर आप मुझे रहने देंगे तो मैं आपका बहुत आभारी रहूंगी।"

कौन हैं तसलीमा नसरीन?

सांप्रदायिकता के मुखरता से अपनी बात रखने वाली तसलीमा साल 1994 से भारत में रह रहीं हैं। उन्होंने तत्कालीन शेख हसीना सरकार में सांप्रदायिकता के खिलाफ और महिला समानता के लिए बांग्लादेश में आवाज उठाया। उन्होंने कट्टरपंथियों की जमकर आलोचना की, जिसकी वजह से उन्हें बांग्लादेश छोड़ना पड़ा।

वो भारत के अलावा, स्वीडन, जर्मनी, फ्रांस और अमेरिका में निर्वासन जीवन बीता चुकीं हैं। उन्होंने 'लज्जा' (1993) 'आमार मेयेबेला' जैसे कुछ मशहूर किताबें भी लिखीं हैं। 

जब जान बचाकर भारत आईं शेख हसीना 

5 अगस्त को तख्तापलट के बाद पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को अपना देश छोड़ना पड़ा और भारत के नई दिल्ली में शरण लेना पड़ा। बांग्लादेश में सिविल सेवा भर्ती में कोटा सिस्टम को रद्द करने की मांग को लेकर प्रदर्शन हुए। इस हिंसक प्रदर्शन में 300 से ज्यादा लोगों की जान चली गई।

देश में प्रदर्शन लगातार उग्र होते चले गए लेकिन देश शेख हसीना सरकार ने प्रदर्शानकारियों की मांग नहीं मानी। आखिरकार प्रदर्शनकारियों को सेना का साथ मिल गया। इसके बाद शेख हसीना को आनन-फानन में अपनी जान बचाकर बांग्लादेश छोड़ना पड़ा।

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