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Gujarat Riots: गुजरात की मोदी सरकार गिराने का षड्यंत्र रच रहे थे तीस्ता और अहमद पटेल, एसआइटी के शपथपत्र में चौंकाने वाली बातें

gujrat riots 2002 एसआइटी की ओर से अहमदाबाद के स्थानीय सेशन कोर्ट में दिए गए शपथपत्र में दावा किया गया है कि तीस्‍ता सीतलवाड़ गुजरात की तत्कालीन नरेन्द्र मोदी सरकार को गिराने के लिए रचे जा रहे बड़े षड्यंत्र का हिस्सा थीं।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Updated: Sat, 16 Jul 2022 10:23 PM (IST)
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gujrat riots 2002: एसआइटी ने अपने शपथपत्र में कई गंभीर खुलासे किए हैं।
अहमदाबाद, एजेंसी। गुजरात पुलिस ने शुक्रवार को तीस्ता सीतलवाड़ की जमानत याचिका का विरोध करते हुए दावा किया कि वे गुजरात की तत्कालीन नरेन्द्र मोदी सरकार को गिराने के लिए रचे जा रहे बड़े षड्यंत्र का हिस्सा थीं। यह षड्यंत्र कांग्रेस के दिवंगत नेता अहमद पटेल के इशारे पर रचा गया था। स्थानीय सेशन कोर्ट में एसआइटी द्वारा दिए गए शपथपत्र यह दावा किया गया है। एडीशनल सेशन जज डीडी ठक्कर ने एसआइटी के जवाब को रिकार्ड में ले लिया और जमानत अर्जी पर सुनवाई सोमवार तक स्थगित कर दी।

निर्दोष लोगों को फंसाने के लिए सुबूत गढ़ने के आरोप

समाचार एजेंसी पीटीआइ की रिपोर्ट के मुताबिक गुजरात दंगों के मामलों में निर्दोष लोगों को फंसाने के लिए सुबूत गढ़ने के आरोप में तीस्ता सीतलवाड़ को पूर्व आइपीएस अधिकारियों आरबी श्रीकुमार और संजीव भट्ट के साथ गिरफ्तार किया गया है।

यह था मकसद 

शपथपत्र में कहा गया है कि इस षड्यंत्र को रचने के पीछे आवेदक (सीतलवाड़) का राजनीतिक उद्देश्य निर्वाचित सरकार को गिराना या अस्थिर करना था। उसने निर्दोष व्यक्तियों को गलत तरीके से फंसाने के अपने प्रयासों के बदले प्रतिद्वंद्वी राजनीतिक दल से अनुचित वित्तीय लाभ और पुरस्कार प्राप्त किए।

दंगों के बाद 30 लाख रुपये मिले

एक गवाह के बयानों का हवाला देते हुए एसआइटी ने कहा कि पटेल के कहने पर सीतलवाड़ को 2002 में गोधरा कांड के बाद हुए दंगों के बाद 30 लाख रुपये मिले। एसआइटी ने आगे दावा किया कि सीतलवाड़ दंगा मामलों में भाजपा सरकार के वरिष्ठ नेताओं के नामों को घसीटने के लिए दिल्ली में उस समय सत्तारूढ़ एक प्रमुख राष्ट्रीय पार्टी के नेताओं से भी मिलती थीं।

ये हैं आरोप 

पिछले महीने, सुप्रीम कोर्ट द्वारा गुजरात दंगों के मामले में तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी और अन्य को दी गई क्लीन चिट को बरकरार रखने के एक दिन बाद, राज्य पुलिस ने सीतलवाड़ को गिरफ्तार कर लिया था। श्रीकुमार और भट्ट के साथ उन पर आइपीसी की धारा-468 (जालसाजी) और 194 (पूंजीगत अपराध के लिए दोषसिद्धि हासिल करने के इरादे से झूठे सबूत देना या गढ़ना) के तहत मामला दर्ज किया गया था।

दंगा पीडि़तों के नाम पर वसूले गए चंदे में गड़बड़ी के आरोप

शपथपत्र में कहा गया है कि तीस्ता ने गुजरात के पूर्व मंत्री हरेन पांड्या के पिता विट्ठलभाई पांड्या से संपर्क किया और उन्हें बरगलाकर अपने एनजीओ सिटिजन फार जस्टिस एंड पीस (सीजेपी) से जोड़ने का भरसक प्रयास किया। शपथपत्र में गुलबर्ग सोसायटी के निवासी फिरोज खान पठान द्वारा तीस्ता के खिलाफ गुजरात दंगा पीडि़तों के नाम पर वसूले गए चंदे में गड़बड़ी पर कराई कई एफआइआर का भी हवाला दिया है।

एनजीओ के खातों में जमा हुई थी भारी भरकम रकम 

फिरोज ने कहा था कि तीस्ता के एनजीओ के सीजेपी के आइडीबीआइ बैंक स्थित खाते में 63 लाख और एक अन्य एनजीओ सबरंग ट्रस्ट के यूनियन बैंक स्थित खाते में 88 लाख रुपये जमा कराए गए थे। यह चंदा गुलबर्ग सोसायटी के पीडि़तों के नाम पर वसूला गया था। इसके हिसाब में बहुत गड़बड़ी है। इसमें से बहुत सा पैसा तीस्ता ने अपने कार्यों पर खर्च किया। चंदे में हुई गड़बड़ी पर पूर्व में गुजरात हाई कोर्ट ने भी हैरानी जताई थी।