Tejas Vs JF-17: देसी तेजस के सामने फीका है पाकिस्तान और ड्रैगन का बनाया हुआ JF-17
Tejas Vs JF-17 भारत के तेजस लड़ाकू विमान की तुलना पाकिस्तान और चीन द्वारा बनाए गए JF-17 थंडर विमान से होती है। तेजस के सामने JF-17 एकदम फीका है।
By TaniskEdited By: Updated: Thu, 19 Sep 2019 10:23 AM (IST)
नई दिल्ली, जेएनएन। भारतीय वायुसेना (IAF) अगले दो सप्ताह के भीतर हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) को 83 तेजस लड़ाकू विमान के लिए 45,000 करोड़ रूपये का ऑर्डर देगी। इस हल्के लड़ाकू विमान (LCA) की तुलना अक्सर पाकिस्तान के 'JF-17 थंडर' विमान से होती है। इस हल्के लड़ाकू विमान (LCA) को पूरी तरह से रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) द्वारा विकसित किया गया है, तो वहीं JF-17 थंडर' विमान को पाकिस्तान ने चीन की मदद से बनाई है। हालांकि, तेजस कई मायने में पाकिस्तानी विमान से आगे है। आइए हम आपको तेजस की कुछ ऐसी खूबियों के बारे में बताते हैं जो इसे थंडर जेट से ज्यादा बेहतर साबित करती हैं।
पाकिस्तानी थंडर जेट पर देशी तेजस भारी तेजस करीब 2,300 किलोमीटर की उड़ान भर सकता है जो पाकिस्तान के JF-17 से ज्यादा है। पाकिस्तानी विमान 2,037 किलोमीटर तक उड़ सकता है। तेजस में 2,500 किलो ईंधन आ सकता है, लेकिन JF-17 थंडर के पास 2,300 किलो ईंधन रखने की क्षमता है। दोनों फाइटर जेट्स इंजन के मामले में भी काफी अलग हैं। तेजस में बीच हवा में ही फिर से ईंधन भरा जा सकता है, लेकिन JF-17 के साथ ऐसा नहीं किया जा सकता। इस खूबी की वजह से तेजस की रेंज और युद्ध-कुशलता बढ़ती है। यही नहीं तेजस हवा में JF-17 से ज्यादा रफ्तार से उड़ान भरने की क्षमता रखता है। चीन का थंडर जेट को टेक ऑफ के लिए कम से कम 600 मीटर लंबे रनवे की जरूरत होती है, लेकिन तेजस सिर्फ 460 मीटर के रनवे से ही उड़ान भर सकता है। तेजस 50,000 फीट की ऊंचाई से भी संचालित किया जा सकता है।
फोर्थ जनरेशन के फाइटर जेट्स में तेजस सबसे बेहतर इसके अलावा तेजस को दुनिया के फोर्थ जनरेशन के फाइटर जेट्स में सबसे बेहतर माना गया है। तेजस के पास ग्लास कॉकपिट है जो कि पायलट को रियल टाइम इंफॉर्मेशन मुहैया कराता है। विशेषज्ञों की माने तो तेजस फ्रेंच फाइटर जेट मिराज 2000 के जितना ही क्षमतावान है। इसके अलावा तेजस हवा से हवा, हवा से सतह और लेसर गाइडेड मिसाइलों के साथ दूसरे हथियारों को ढो सकता है। फ्लाई-बाइ-वायर टेक्नोलॉजी की वजह से पायलट इसे और ज्यादा गतिवान बना सकता है।
दो साल पहले ही जारी हुआ था टेंडरबता दें कि वायुसेना ने लगभग दो साल पहले इसे लेकर टेंडर जारी किया था, जो कीमतों की वजह से अटक गया था। लेकिन अब ये सौदा लगभग तय माना जा रहा है। वरिष्ठ रक्षा सूत्रों के मुताबिक रक्षा मंत्रालय अगले दो हफ्ते में इन विमानों के लिए आदेश मिलने की उम्मीद है। इससे वायुसेना के साथ-साथ रक्षा उत्पादन के सेक्टर को मजबूती भी मिलेगी। इस साल की शुरुआत में, DRDO प्रमुख जी. सतेश रेड्डी ने एयरो-इंडिया में इस विमान की वायुसेना और रक्षा मंत्रालय के लिए अंतिम परिचालन मंजूरी (IOC) प्रमाणपत्र प्रस्तुत किया था। ऑर्डर का 65 प्रतिशत से अधिक धन देश के भीतर ही रहेगा।
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