वक्फ बोर्ड ने किसान की पुश्तैनी जमीन पर किया दावा, भड़के तेजस्वी सूर्या बोले- भारत संविधान के हिसाब से चलेगा न कि शरिया से
उत्तरी कर्नाटक के विजयपुर जिले में स्थित गांव होनवाड़ा में किसानों की पुश्तैनी जमीन पर वक्फ की संपत्ति होने के दावे पर विवाद गहरा गया है। शुक्रवार को बेंगलुरु दक्षिण से सांसद तेजस्वी सूर्या ने दावा किया कि कर्नाटक वक्फ बोर्ड ने 1500 एकड़ जमीन पर दावा जताया है। उन्होंने कहा कि टिकोटा तालुक में आने वाले इस गांव के किसानों को नोटिस भी जारी किए गए हैं।
पीटीआई, बेंगलुरु। उत्तरी कर्नाटक के विजयपुर जिले में स्थित गांव होनवाड़ा में किसानों की पुश्तैनी जमीन पर वक्फ की संपत्ति होने के दावे पर विवाद गहरा गया है। शुक्रवार को बेंगलुरु दक्षिण से सांसद तेजस्वी सूर्या ने दावा किया कि कर्नाटक वक्फ बोर्ड ने 1,500 एकड़ जमीन पर दावा जताया है।
उन्होंने कहा कि टिकोटा तालुक में आने वाले इस गांव के किसानों को नोटिस भी जारी किए गए हैं। जिसमें बिना कोई स्प्ष्टीकरण दिए जमीनों को वक्फ की संपत्ति घोषित कर दिया गया है। सूर्या ने आरोप लगाया कि कर्नाटक के वक्फ मंत्री बीजेड जमीर अहमद खान ने उप आयुक्त और राजस्व विभाग के अधिकारियों को आदेश दिया है कि 15 दिनों में जमीनें वक्फ बोर्ड के पक्ष में पंजीकृत की जाएं।
सांसद सूर्या ने लगाए गंभीर आरोप
सांसद सूर्या ने यह भी आरोप लगाया कि ऐसा करके मोदी सरकार के वक्फ संशोधन विधेयक, 2024 के जरिये होने वाले सुधार में अड़ंगा लगाने की कोशिश की जा रही है। इस पूरी प्रक्रिया में प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों की भी अवहेलना हो रही है। जिसमें किसान किनारे हो जाएंगे और राजस्व लेखों में उनकी जमीन वक्फ बोर्ड के नाम पर दर्ज हो जाएगी।भारत संविधान और कानून के हिसाब से चलेगा
भारत संविधान और कानून के हिसाब से चलेगा न कि शरिया या जमीर अहमद खान जैसे मंत्रियों के निर्देशों से। सूर्या ने इसे लेकर कांग्रेस पर भी निशाना साधा और कहा कि 1955 के वक्फ कानून और फिर 2013 में हुए संशोधन से वक्फ बोर्ड को एक तरह से असीमित शक्तियां मिल गई हैं। वो किसी भी जमीन के वक्फ संपत्ति होने का दावा कर सकते हैं। ऐसे कानून बना कर कांग्रेस ने पूरे देश के नागरिकों के धोखा दिया है।
क्या है वक्फ एक्ट 1954
वर्ष 1954 में जवाहर लाल नेहरू की सरकार के समय वक्फ एक्ट, 1954 पास किया गया, जिसका मकसद वक्फ से जुड़े कामकाज को सरल बनाना और जरूरी प्रविधान करना था। इस एक्ट में वक्फ की संपत्ति पर दावे से लेकर रख-रखाव तक को लेकर प्रविधान हैं।1965 में हुआ संशोधन
एक्ट में दिए गए प्रविधानों के मुताबिक वर्ष 1964 में अल्पसंख्यक मंत्रालय के अधीन केंद्रीय वक्फ परिषद का गठन हुआ। यह वक्फ बोर्डों के कामकाज के मामलों में केंद्र सरकार को सलाह देती है। वर्ष 1995 में वक्फ एक्ट में बदलाव भी किया गया और हर राज्य/केंद्र शासित प्रदेश में वक्फ बोर्ड बनाने की अनुमति दी गई।