Karnataka: हिंदू मंदिरों पर टैक्स लगाने वाला विधेयक में क्या हैं प्रस्ताव? BJP-JDS विधायकों की अनुपस्थिति में विधानसभा से पारित
कर्नाटक विधानसभा में गुरुवार को हिंदू मंदिरों पर टैक्स लगाने वाला विधेयक पारित हो गया। विधानसभा में विधेयक को पेश करते हुए मुजराई मंत्री रामलिंगा रेड्डी ने कहा कि विधेयक पहले विधानसभा से पारित हो चुका था लेकिन विधान परिषद से पारित नहीं हो सका था। ऐसे में मैं विधानसभा से आग्रह करता हूं कि एक बार फिर विधेयक को पारित किया जाए।
पीटीआई, बेंगलुरु। कर्नाटक विधानसभा में गुरुवार को हिंदू मंदिरों पर टैक्स लगाने वाला विधेयक पारित हो गया। यह विधेयक पिछले सप्ताह विधान परिषद में पारित नहीं हो सका था, जिसके बाद विधेयक को पुनर्विचार के लिए रखा गया और यह गुरुवार को एक बार फिर विधानसभा से पारित हो गया।
विधानसभा में पारित कर्नाटक हिंदू धार्मिक संस्थान और धर्मार्थ बंदोबस्ती (संशोधन) विधेयक, 2024 को अब सीधे राज्यपाल के पास भेजा जाएगा और अगर राज्यपाल की मुहर लग गई, तो यह कानून बन जाएगा।
इससे पहले 21 फरवरी को विधानसभा से पारित होने के बाद 23 फरवरी को विधान परिषद में विधेयक लाया गया, जहां वह पारित नहीं हो सका। बता दें कि विधान परिषद में विपक्ष के पास बहुमत है।
मुजराई मंत्री रेड्डी ने विधेयक पेश किया
गुरुवार को विधानसभा में विधेयक को पेश करते हुए मुजराई मंत्री रामलिंगा रेड्डी ने कहा,
विधेयक पहले विधानसभा से पारित हो चुका था, लेकिन विधान परिषद से पारित नहीं हो सका था। ऐसे में मैं विधानसभा से आग्रह करता हूं कि एक बार फिर विधेयक को पारित किया जाए।
इसके बाद स्पीकर यूटी खादर ने विधेयक को वोटिंग के लिए रखा और इसे ध्वनि मत से पारित किया गया। हालांकि, विधेयक पारित होने के समय विपक्षी भाजपा और जद(एस) विधायक विधानसभा में मौजूद नहीं थे।
कांग्रेस सदस्य नासिर हुसैन के राज्यसभा के लिए निर्वाचित होने के बाद 'पाकिस्तान जिंदाबाद' के नारे लगे। जिस पर भाजपा और जद (एस) सदस्यों ने अपनी नाराजगी जाहिर की और कांग्रेस सरकार के इस्तीफे की मांग करते हुए बहिर्गमन किया था।
विधेयक में क्या प्रस्ताव है?
विधेयक में 10 लाख रुपये से एक करोड़ रुपये के बीच सालाना आय वाले मंदिरों से पांच फीसद और एक करोड़ रुपये से अधिक आय वाले मंदिरों से 10 फीसद राशि एक कॉमन पूल फंड में डालने का प्रस्ताव है। बकौल विधेयक, एकत्रित धन को 'राज्य धार्मिक परिषद' द्वारा प्रशासित एक साझा कोष में डाला जाएगा, जिसका इस्तेमाल पांच लाख से कम आय वाले 'सी' श्रेणी के मंदिरों (राज्य नियंत्रित) के अर्चकों (पुजारियों) के कल्याण और रखरखाव के लिए किया जाएगा।