पुण्यतिथि विशेष: यहां 30 वर्षों से अादिवासी कर रहे हैं इंदिरा गांधी की पूजा
इंदिरा गांधी के मंदिर के लोकार्पण का प्रसंग भी दिलचस्प है। अप्रैल 1986 में अर्जुनसिंह इस जिले के प्रवास पर थे। कई सिंचाई योजनाओं का शिलान्यास व लोकार्पण किया।
खरगोन, [विवेक वर्द्धन श्रीवास्तव ]। पिछले 30 वर्षों से यहां न आस्था में कमी आई और न पूजा का सिलसिला रुका। आज भी 'देवी मां इंदिरा' नाम के जयकारे लगाए जाते हैं। जी हां, सतपुड़ा के पहाड़ों में बसे गांव पाडल्या में तत्कालीन प्रधानमंत्री स्व इंदिरा गांधी का मंदिर बना हुआ है।
आदिवासी बहुल क्षेत्र में यह आस्था का केंद्र है। 1984 में इंदिरा गांधी के निधन के बाद भी यहां मंदिर निर्माण की रूपरेखा बनी। वर्ष 1986-87 में इस मंदिर का लोकार्पण तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुनसिंह ने किया था। हजारों ग्रामीणों के बीच सिंह ने इसे लोकार्पित कर सर्वमान्य नेता कहा था, तभी से यहां पूजा का सिलसिला जारी है। इस मौके पर उपमुख्यमंत्री व सांसद रहे सुभाष यादव, विधायक चिड़ाभाई डाबर आदि मौजूद हुए। यह गांव जिला मुख्यालय से कोई 85 किमी दूर है।
बिना परवाह ग्रामीणों की मानी जिद!
मंदिर के लोकार्पण का प्रसंग भी दिलचस्प है। अप्रैल 1986 में अर्जुनसिंह इस जिले के प्रवास पर थे। कई सिंचाई योजनाओं का शिलान्यास व लोकार्पण किया। इस दौरान इस मंदिर का भी लोकार्पण करना था। जिला पंचायत सदस्य केदार डाबर बताते हैं कि उस दौरान राजनेता की मूर्ति व मंदिर स्थापना को लेकर कोर्ट में कई मुद्दे देशभर में चल रहे थे। मीडिया में आलोचनाओं के साथ यह विषय सुर्खियों में था।
ऐसे समय सिंह का लोकार्पण करने को लेकर भी सवाल उठे। कई लोगों ने उन्हें सुझाव दिया कि इस कार्यक्रम से बचना चाहिए। सिंह ने ऐसी आलोचनाओं और खबरों को दरकिनार किया। बिना परवाह किए कहा कि आदिवासियों की आस्था और जिद मेरे लिए आदेश है।
डाबर के अनुसार वे लोकार्पण कार्यक्रम पहुंचे और 30 हजार से ज्यादा ग्रामीण इस आयोजन में मौजूद थे। गांव के सरपंच पदमसिंह पटेल ने बताया कि तत्कालीन विधायक चिड़ाभाई डाबर को ग्रामीणों ने इच्छा जताई कि उस दौरान सुखलाल पटेल आदि ने इस निर्माण के लिए प्रयास किए थे। मंदिर में पूजा करने पहुंची सुशीलाबाई ने बताया कि वे इंदिरा गांधी को गरीबों की मसीहा मानती हैं। सीताबाई डाबर व गांव पटेल मोतेसिंह का कहना है कि यह मंदिर जिले की शान है। 31 अक्टूबर को भी यहां आयोजन होंगे।
लोकप्रियता का उदाहरण
यह मंदिर किसी राजनेता विशेष की चाटुकारिता नहीं बल्कि आदिवासी समूह के बीच स्व. इंदिरा गांधी की लोकप्रियता का जीता-जागता उदाहरण है। आदिवासी समूह के बीच उनकी पहुंच जगजाहिर रही है। प्रतिवर्ष यहां विशेष दिवस पर आयोजन होते हैं।
-केदार डाबर, सदस्य जिला पंचायत खरगोन
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