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दसवीं पास दीदियां आसानी से बन सकेंगी ड्रोन पायलट, हर महीने 15 हजार तक मिल सकती है पगार

ड्रोन दीदी बनने के लिए हाई-फाई डिग्री की जरूरत नहीं होगी। दसवीं पास महिलाएं महज 15 दिनों का प्रशिक्षण लेकर आसानी से ड्रोन दीदी बन सकती हैं। आत्मनिर्भर भारत योजना के तहत ड्रोन प्रशिक्षण की जटिलता एवं अभ्यर्थियों के फालतू खर्चे को सीमित करते हुए यह व्यवस्था नैनो उर्वरकों का इस्तेमाल बढ़ाने के लिए की गई है उम्र 18 वर्ष से कम तथा 50 वर्ष से ज्यादा नहीं होनी चाहिए।

By Jagran News Edited By: Jeet Kumar Updated: Fri, 08 Nov 2024 02:00 AM (IST)
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दसवीं पास दीदियां आसानी से बन सकेंगी ड्रोन पायलट
अरविंद शर्मा, नई दिल्ली। 'ड्रोन दीदी' बनने के लिए हाई-फाई डिग्री की जरूरत नहीं होगी। दसवीं पास महिलाएं महज 15 दिनों का प्रशिक्षण लेकर आसानी से ड्रोन दीदी बन सकती हैं। आत्मनिर्भर भारत योजना के तहत ड्रोन प्रशिक्षण की जटिलता एवं अभ्यर्थियों के फालतू खर्चे को सीमित करते हुए यह व्यवस्था नैनो उर्वरकों का इस्तेमाल बढ़ाने के लिए की गई है।

महिला स्वरोजगार को प्रोत्साहन

माना जा रहा है कि इससे महिला स्वरोजगार को प्रोत्साहन के साथ-साथ कृषि में नई क्रांति का सूत्रपात होगा। पहले चरण में महिला स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) को 14500 ड्रोन दिए जा रहे हैं। कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने “ड्रोन दीदी'' के परिचालन के लिए नई गाइडलाइन बनाई है। निर्देशों के अनुसार पात्र अभ्यर्थी को महिला एसएचजी की सदस्य होने के साथ ही मानसिक और शारीरिक रूप से स्वस्थ होना चाहिए। उम्र 18 वर्ष से कम तथा 50 वर्ष से ज्यादा नहीं होनी चाहिए।

प्रत्येक महीने 15 हजार रुपये की पगार

चुने जाने पर नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (डीजीसीए) द्वारा मान्यता प्राप्त संस्थान से ड्रोन पायलट की ट्रेनिंग से गुजरने और पायलट प्रमाणपत्र लेने के बाद वह पूरी तरह 'ड्रोन दीदी' बन जाएगी। फिर फसलों पर तरल डीएपी एवं तरल यूरिया का छिड़काव कर वह प्रत्येक महीने 15 हजार रुपये की पगार पा सकती हैं। ड्रोन को खेती के लिए किराये पर किसानों को उपलब्ध कराना है। ऐसे में किराये से भी अतिरिक्त आय होगी।

अभी ड्रोन पायलटिंग के लिए डीजीसीए से संबद्ध संस्थान में नामांकन के लिए प्रवेश परीक्षा एवं इंटरव्यू की प्रक्रिया से गुजरना पड़ता था। बेसिक ट्रेनिंग के लिए भी अच्छी फीस देनी होती है। एडवांस कोर्स की फीस तो एक लाख से भी ज्यादा होती है। अब चयनित सदस्य को सिर्फ ड्रोन ऑपरेटरिंग एवं उर्वरक छिड़काव के बारे में बताया जाएगा।

ड्रोन पोर्टल के माध्यम से पूरी योजना की निगरानी होगी। यह भी देखा जाएगा कि पायलट द्वारा ड्रोन का संचालन ठीक से किया जा रहा है या नहीं। कृषि में ड्रोन का उपयोग प्रारंभिक चरण में है। इसलिए बारीकी से निगरानी करते हुए एसएचजी को सहयोग करना राज्यों की ही जिम्मेवारी होगी।

कहां करें आवेदन

केंद्र की यह योजना राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत संचालित है। ड्रोन के लिए अलग से पोर्टल बनाया गया है, जिसमें आवेदन किया जा सकता है। एसएचजी का चयन राज्य स्तरीय समिति द्वारा किया जाएगा। उसी में से किसी एक सदस्य को ट्रेनिंग के लिए चुना जाएगा। बिजली के सामान की मरम्मत, फिटिंग एवं मशीनी कार्यों में रुचि रखने वाली एक अन्य सदस्य को ड्रोन सहायक के रूप में प्रशिक्षित किया जाएगा। ध्यान रहे कि यह प्रशिक्षण खेतों में तरल उर्वरकों के छिड़काव के उद्देश्य से दिया जाएगा, इसलिए खेती की समझ रखने वाली महिला सदस्य को ही प्राथमिकता दी जाएगी।

प्रत्येक 30 ड्रोन पर एक सर्विसिंग सेंटर

राज्यों में योजना के क्रियान्वयन एवं समन्वय की जिम्मेवारी उर्वरक कंपनियों की होगी। वह राज्य के कृषि विभाग, ड्रोन निर्माता कंपनी, संघों, किसानों एवं लाभार्थियों से समन्वय करेगी। उर्वरक कंपनियां पारदर्शिता के जरिए ड्रोन खरींदेगी। किंतु स्वामित्व एसएचजी का होगा। पायलटों एवं सहायकों को ट्रेनिंग देने की जिम्मेवारी ड्रोन निर्माता कंपनियों की होगी।

एक वर्ष की गारंटी, दो वर्ष का रखरखाव भी शामिल होगा। निर्माता कंपनी को मरम्मत के लिए प्रत्येक 30 ड्रोन पर एक सर्विसिंग सेंटर बनाना होगा, जिसपर मेंटेनेंस इंजीनियर की ड्यूटी होगी। सूचना मिलने के 72 घंटे के भीतर ही निर्माता कंपनी को सुधार करना होगा।